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 कैसे लिखी जाती है

कविता मुझे पता नहीं 
बस भावनाओं के
 कुछ बादल जन्म लेते हैं
 दिल की सतह पर 
और वाष्पित होकर  
मस्तिष्क में पंहुच कर 
उमड़ पड़ते हैं 
और बूँद बूँद बरसते 
हैं शब्द बनकर ,घुल जाते हैं 
मेरी कलम की स्याही में 
और उतर आते हैं 
किसी सपाट पन्ने 
पर कविता बनकर
******

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 14, 2012 at 12:46pm

अशोक कुमार रक्तेला जी हार्दिक आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 14, 2012 at 8:29am

कैसे लिखी जाती है

कविता मुझे पता नहीं 
बस भावनाओं के
 कुछ बादल जन्म लेते हैं
          कविता के पन्ने पर आने के पीछे कि हकीकत को बयान करती सुन्दर रचना. बधाई स्वीकारें.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 10, 2012 at 6:49pm

सुरेन्द्र कुमार भ्रमर जी सही लिखा है ये भावनाओं के बादल सभी के दिल में उमड़ते हैं और इन्हें वक़्त रहते ही कैद कर लेना चाहिए वर्ना जल्दी उड़न छू भी हो जाते हैं ------आपको भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बधाई 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 10, 2012 at 12:52pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी जय श्री कृष्ण ...खूबसूरत सटीक भाव ..ये बादल उमड़ घुमड़ हमें सोने भी नहीं देते कभी तो जब तक हाथ में कलम और कागज न आ जाये अपना तो सोना चांदी गहना सब कागज़ और कलम ..बधाई 

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाये आप सपरिवार और सारी प्यारी मित्र मण्डली को भी ....
भ्रमर ५ 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 10, 2012 at 11:16am

 हार्दिक आभार रेखा जी 

Comment by Rekha Joshi on August 10, 2012 at 10:54am

हृदय के भावों को व्यक्त करते हुए कविता का रूप लेती हुई अति सुंदर अभिव्यक्ति पर मेरी हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 9, 2012 at 1:29pm

बहुत बहुत शुक्रिया आशीष  श्रीवास्तव जी आपको यह रचना पसंद आई 

Comment by Ashish Srivastava on August 9, 2012 at 1:25pm

Rajesh ji 

Namaskar 

Sundar rahcna ke liye badhai ho

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