For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उम्र  गँवा  दी  लोमड़ी, उछल- कूद  वनवास। 

 ईश  साधना की नहीं, भजन हुआ सन्यास।।

दोहा  कवि को  साध्य है, मूर्ख सदैव असाध्य। 

लंगड़ी  जब  भी  मारता, गिरता ठोकर खाय।।

काव्य - धर्म है साधना, प्राण बसे मम आग ।

साधू - संगति  चाहिए , तुलसी सम अनुराग।।

काव्य - कर्म जागृति जगत, हास्य-व्यंग्य है राग।

कविता  -  गंगा   है    सदा, नवरस का अनुराग।।

काव्यशास्त्र  विलास  कवि, पंडित को ही साध्य। 

तप - काव्य विरल भाव है, मूर्ख  कहाँ आराध्य।।

गणना करिये आयु  की, गणित आप के पास। 

गणित जानते  यदि नहीं, फूल  सूँघिये खास ।।

मौलिक व अप्रकाशित 

प्रोफ. चेतन प्रकाश 'चेतन'

Views: 490

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2022 at 9:00am

आपके छक्के ने दमदार अभ्यास दिखाया है, आदरणीय. 

प्रयास जारी रहे. 

शुभातिशुभ 

Comment by Chetan Prakash on February 3, 2022 at 10:46pm

आ . सुशील सरना  साहब , कृपया पुन: देखें । अपेक्षित  संशोधन द्रष्टव्य है !

Comment by Chetan Prakash on February 3, 2022 at 10:43pm

भाई, लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  सही  कहा, आप ने, टंकण त्रुटि  हुई  है, असाध्य के स्थान पर  'अघाय' पढ़कर  कृतार्थ करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 3, 2022 at 4:59pm

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बवाई ।

दूसरे दोहे की तुकान्तता के सन्दर्भ में पुनः विचार कीजिएगा । सादर..

Comment by Sushil Sarna on February 1, 2022 at 8:27pm
वाहहहहहह आदरणीय चेतन प्रकाश जी बहुत ही सुंदर और सार्थक दोहावली सर । क्षमा सहित सर अन्तिम दोहे का तुकांत? सादर नमन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

आंचलिक साहित्य

यहाँ पर आंचलिक साहित्य की रचनाओं को लिखा जा सकता है |See More
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया इस जगमगाती शह्र की हर शाम है…"
2 hours ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"विकास जोशी 'वाहिद' तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ…"
3 hours ago
Tasdiq Ahmed Khan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल जो दे गया है मुझको दग़ा याद आ गयाशब होते ही वो जान ए अदा याद आ गया कैसे क़रार आए दिल ए…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"221 2121 1221 212 बर्बाद ज़िंदगी का मज़ा हमसे पूछिए दुश्मन से दोस्ती का मज़ा हमसे पूछिए १ पाते…"
5 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेंद्र जी, ग़ज़ल की बधाई स्वीकार कीजिए"
6 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। वो शोख़ सी निगाहें औ'…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गयामानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१।*तम से घिरे थे लोग दिवस ढल गया…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"221    2121    1221    212    किस को बताऊँ दोस्त  मैं…"
8 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"सुनते हैं उसको मेरा पता याद आ गया क्या फिर से कोई काम नया याद आ गया जो कुछ भी मेरे साथ हुआ याद ही…"
15 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service