For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रिवायतें तो सनम सब निभाई यारी की (८६ )

(1212 1122 1212 22 /112 )

रिवायतें तो सनम सब निभाई यारी की

तमाम तोड़ हदें हमने दुनिया-दारी की

**

करोगे बात किसी की गर इंतजारी की

जुड़ेगी इस से कहानी भी बेक़रारी की

**

जब आब सर से हमारे लगा गुज़रने तब

निराश होके सनम हमने दिलफ़िगारी की 

**

रक़ीब से जो मिले आप बे-हिज़ाब मिले

हमीं से सिर्फ़ लगातार पर्दे-दारी की

**

जूनून और गुमाँ में हुज़ूर भूल गए

क़सम भी कोई निभानी है राज़-दारी की

**

थी काफ़ी आतिश-ए-हिज्राँ हमें जलाने को

फ़िज़ूल आपने जुम्लों से शोला-बारी की 

**

ग़मों का आपने रुख़ इस तरफ सनम कर के

अजीब रस्म निभाई है ग़मगुसारी की 

**

सहल नहीं है हुक़ूमत वतन पे या दिल पर

 रही  सदा रहे-पुरख़ार ताज-दारी की

**

'तुरंत' चाहते हैं सब ख़ुशी मिले पैहम

तमन्ना कौन रखे ग़म से हमकिनारी की 

**

गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 423

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 21, 2020 at 7:34am

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, आप की सराहना के लिए सादर आभार 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 21, 2020 at 6:55am

आ. भाई गिरधारी सिंह जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 19, 2020 at 2:49pm

आदरणीय  TEJ VEER SINGH जी ,  

आपने रचना को सराहा। आपके स्नेह के लिए अंतस्थल से आभारी हूँ। सादर नमन।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 19, 2020 at 10:51am

हार्दिक बधाई आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत "तुरंत" जी। बेहतरीन गज़ल।

रक़ीब से जो मिले आप बे-हिज़ाब मिले

हमीं से सिर्फ़ लगातार पर्दे-दारी की

Comment by TEJ VEER SINGH on April 19, 2020 at 10:17am

हार्दिक बधाई आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत "तुरंत" जी। बेहतरीन गज़ल।

रक़ीब से जो मिले आप बे-हिज़ाब मिले

हमीं से सिर्फ़ लगातार पर्दे-दारी की

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service