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Rahul Dangi Panchal's Blog – March 2016 Archive (3)

ग़ज़ल--क्यूं कभी मेरी किसी से या खुदा बनती नहीं।

२१२२ २१२२ २१२२ २१२



क्यूं कभी मेरी किसी से या खुदा बनती नहीं।

आपने मेरे लिए कोई खुशी सोची नहीं ।



लोग जो अच्छे है मुझको सोच लेते हैं बुरा।

क्या मेरी नादानियों की आदतें अच्छी नहीं ।



मैंने उनसे सिर्फ अपनी भावनाएँ बाँटी थी।

बेवजह गुस्सा ये उनका क्या गलतफहमी नहीं।



मान ली मैंने चलो मुझसे खता कुछ हो गयी।

हो गयी अनजाने में अब क्या मुझे माफी नहीं।



सीख में आकर जमाने की किया है फैसला।

बात की दहलीज तक तो आप पहुँचे भी… Continue

Added by Rahul Dangi Panchal on March 18, 2016 at 8:10am — 3 Comments

ग़ज़ल-आह उफ कर ले रू ब रू न आए।

२१२२ १२१२ २२

क्यूं मुझे मौत की ये बू न आये।
तेरी याद आए और तू न आये।

जख्म दर जख्म चींख,दर्द,आह,उफ।
हाल-ए-दिल,शे'र हू-ब-हू न आये।

रोज देखे किसी को छुप के हम।
आह उफ कर ले रू ब रू न आए।

रोज आए नजर से लब तक हम।
पर लबों तक ये आरजू न आये।

वो ग़ज़ल क्या ग़ज़ल जिसे सुनकर।
दर्द की आँख में लहू न आये।

होंठ पर फूल और दिल काला।
मुझको ये इल्मे गुफ्तगू न आये।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Added by Rahul Dangi Panchal on March 13, 2016 at 9:00pm — 14 Comments

गीत- ये है पुलिस की नौकरी,

२२१२ २२१२ २२१२ २२१२



ये है पुलिस की नौकरी, ये है पुलिस की नौकरी ।

कानून की ये टोकरी, ये है पुलिस की नौकरी ।



मुजरिम को पकडे तो कहे कुछ लोग अत्याचार है।

गर चुप रहे तो कहते है करती पुलिस व्यापार है।

जब मस्तियों में गाँव हो या नींद में होता शहर।

ऐ दोस्तो वे हम ही है जो जागते आठों पहर।

सोने का या फिर खाने का यां वक्त कुछ निश्चित नहीं।

हो जुर्म कितना भी मगर हम है तो तुम चिंतित नहीं

फिर भी हमें है लाख तानें और हजारों बात है।

हर फर्ज पूरा कर… Continue

Added by Rahul Dangi Panchal on March 5, 2016 at 2:38pm — 2 Comments

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