For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sharadindu mukerji's Blog – April 2013 Archive (5)

तनाव भरे कुछ घण्टे - आँखों देखी 2

तनाव से भरे कुछ घण्टे – “ आँखों देखी 2 “

भूमिका : मैं जिस घटना का वर्णन करने जा रहा हूँ उसे समझने के लिये आवश्यक है कि घटना से सम्बंधित स्थान, काल, परिवेश का एक संक्षिप्त परिचय दे दूँ.

अंटार्कटिका हमारे ग्रह – पृथ्वी – का वह सुदूरतम महाद्वीप है जहाँ मानव की कोई स्थायी बस्ती नहीं है. हैं तो कुछ देशों के वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र जिनमें अस्थायी रूप से रहकर काम करने के लिये वैज्ञानिक तथा अन्य अभियात्रियों का हर वर्ष समागम होता है. लगभग 1.4 करोड़ वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैले इस…

Continue

Added by sharadindu mukerji on April 28, 2013 at 10:30pm — 9 Comments

आँखों देखी

आंखों देखी

बात फ़रवरी 1986 की है. भारत का पाँचवा वैज्ञानिक अभियान दल अंटार्कटिका में अपना काम समाप्त कर चुका था. शीतकालीन दल के सभी 14 सदस्य भारतीय अनुसंधान केंद्र “ दक्षिण गंगोत्री ” में पहुँच चुके थे. इस दल को अगले एक वर्ष तक यहीं रहना था. ग़्रीष्मकालीन दल के करीब सब अभियात्री 15 किलोमीटर दूर खड़े जहाज “ एम.वी. थुलीलैण्ड “ में थे. मौसम बेहद खराब हो जाने की वजह से एक दो वैज्ञानिक जहाज में नहीं पहुँच पाये थे. कुछ और औपचारिकताएँ बाकी थीं...इंतज़ार था मौसम के ठीक होने का. मौसम का आलम यह था…

Continue

Added by sharadindu mukerji on April 20, 2013 at 4:07am — 10 Comments

एक कील, एक तसवीर

हक़ीकत की सफेद दीवार पर

तजुर्बों की भीड़ ने,

अहसास नाम की

नन्हीं सी कील ठोक दी थी.

मैं,

अरमानो की इस टेढ़ी-मेढ़ी गली से

यूँ ही गुजर रहा था –

अटपटा सा लगा

तो सोचा,

क्यों न काँच से मढ़े हुए

इस “ मैं “ को

उस पर टाँग दूँ –

गली में भटकने वालों का

इसे तोड़ने और जोड़ने में

शायद मन बहल जाए.

न जाने उस तसवीर के

कितने ही टुकड़े हो गये होंगे,

कितने ही असावधानी तमाशबीन

उन टुकड़ों की नुकीली धार से,

लहू-लुहान हुए होंगे !

मुझे तो अब…

Continue

Added by sharadindu mukerji on April 17, 2013 at 2:44am — 13 Comments

जन्मदिन !!

(1)

विधि ने सुंदर गीत रचा,

अलि कुल स्वर सा यह गुंजन –

विश्व चराचर,

अविरत निर्झर,

श्वासों का यह स्पंदन.

कितना विस्मय,

कितना मधुमय,

कितना अनुपम,

मानव जीवन !

(2)

नक्षत्र खचित अम्बर में

किसके, उज्ज्वल स्नेह का प्रकाश ?

किसके इंगित पर मुस्काते हैं

यह धरती और यह आकाश ?

किसके सौरभ से

सुरभित यह मन,

अश्रु शिशिर,

नहीं क्रंदन !

किसके कर में क्रीड़ा करते

जीवन – मरण,

मरण – जीवन -

उसको अर्पित…

Continue

Added by sharadindu mukerji on April 7, 2013 at 4:30am — 17 Comments

उद्गार

लब पे ये मुस्कान जैसे चंद्रमा हो,

तारक खचित अम्बर में तुम अनुपमा हो –

विश्व के सुकुमार पलकों पर सुभगे,

स्वप्नवत तुम मधुर कोई कल्पना हो.

*****

जागो जगाओ विश्व को दो निज आलोक,

कलुष भेद तम दूर हटें जागे त्रिलोक,

बाहु में शक्ति, हृदय में भक्ति लिए सुकुमारी,

निर्भीक बढ़ो जीवन पथ पर बेरोक-टोक.

****

माटी का कण तृण गंध तुम्हारे साथ है,

उन्मुक्त समीरण मंद तुम्हारे साथ है,

जीवन उपवन में खिली हुई ऐ नवल कलि,

रोम-रोम में रग-रग में भगवान…

Continue

Added by sharadindu mukerji on April 1, 2013 at 1:30am — 11 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service