For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Mohammed Arif's Blog – February 2018 Archive (6)

कविता-- लाजमी है अब मरना

हमें अब मरना होगा

अपने आदर्शों के साथ

गला घोंटना होगा

अपने ही सिद्धांतों का

सूली पर चढ़ाना होगा मान्यताओं को

इन सबका औचित्य समाप्त - सा हो गया है

सच की अँतड़ियाँ निकल आई है

काल के दर्पण पर कुछ भद्दे चेहरें

मुँह चिढ़ा रहे है खोखले मानव को

दिन सारे दहशत में झुलसते रहते हैं

दोपहर को लू लग गई है

कँपकँपी-सी लगी रहती है शाम को

रातें आतंकी के विस्फोट -सी लगती है

हमें अब मरना होगा अपने आंदोलनों के साथ

भूख हड़ताल और आमरण अनशन…

Continue

Added by Mohammed Arif on February 25, 2018 at 8:00am — 5 Comments

कविता--फागुन

फागुन
अलसाई हुई भोर को
फागुनी दस्तक की
गंध ने महका दिया
मेरे अंदर भी
बीज अंकुरित होने लगे
तुम्हारे अहसासों के
शायद तुम भी
गुनगुना रही होगी
होली का गीत
प्रेम की मादल पर
कुछ पुरानी यादें भी
थाप दे रही होंगी
हृदय के आँगन में
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Added by Mohammed Arif on February 20, 2018 at 12:30am — 10 Comments

कविता --पारदर्शिता



कितनी पारदर्शिता है

इस सदी में

किसानों की बर्बाद फसल का

तगड़ा मुआवज़ा देने की

सरकार खुलेआम घोषणा कर रही है

मगर मुआवज़ा

आत्महत्या में बदल रहा है

मीडिया सुबह की पहली किरण के साथ

दिखला रहा है

भूख-ग़रीबी , बेरोज़गारी , आँसू , सिसकी

मगर सरकार कहती है

हमने करोड़ों का बजट में

प्रावधान बढ़ा दिया है

आँकड़ों में

मृत्यु दर लगातार घट रही है

सरकारी अस्पतालों में

मौत सस्ती बिक रही है

हीरा और हवाला कारोबारी

करोड़ों की चपत लगा रहे…

Continue

Added by Mohammed Arif on February 18, 2018 at 7:56am — 4 Comments

कविता--नए संस्करण

अब पैमाने

तय किए जा रहे हैं

राष्ट्रीयता के

ब्रेन मेपिंग और नार्को टेस्ट के ज़रिए

उगलवाया जाएगा राष्ट्रीयता का अमृत्व

भूल से स्वप्न में भी

गांधी का चश्मा मत देख लेना

चश्में सारे सरकार बाँटेगी

भूख बाँटने के काम में भी वह दक्ष हो गई है

जंतर-मंतर पर अनशन

भूख हड़ताल की पसलियाँ बाहर निकल आई है

संसद में भेड़िये घूस आए हैं

नोच डालना चाहते हैं संविधान की प्रतियों को

बहुत भूखे हैं

खाना चाहते हैं सारी संसदीय मर्यादा को

" रघुपति राघव राजा राम "…

Continue

Added by Mohammed Arif on February 12, 2018 at 1:11am — 14 Comments

कविता--बहुत बेईमानी लगता है

आत्मा के

कल-कल छल-छल जल में

शब्दों की ध्वनियाँ तैरती है

देर तक गूँजती रहती है

तब बहुत बेईमानी लगता है

इस युग के मुहाने की छाती पर

नंगे पैर खड़े होकर चलना

समझौतों के ताबीज पहनना

मक्कारी का मंत्र जाप करना

रोज़ आत्मा का गला घोटना

खंडित-खंडित होकर

अखंडित समाधि बनना

बहुत बेईमानी लगता है

इस युग के रिश्तों में जीना

जहाँ रिश्तों में डाका पड़ा है

ख़ूनी हाथ अट्टहास करते हैं

अकेलेपन की साँसें थम गई है

रातरानी को लकवा हो गया है

गुलाब…

Continue

Added by Mohammed Arif on February 6, 2018 at 9:08pm — 15 Comments

कविता -संघर्ष

हौसलों की बैसाखी से

हर मंज़िल को पार किया है

दया-सहानुभूति को

हरदम दर किनार किया है

जब-जब घिरे बादल विपत्ति के

बिजलियाँ चमकीं विचलन की

ख़ुद को मैंने धारदार किया है

बाधाओं को परास्त करता गया

बीज सफलता के बोता गया

भय के काँटों को लाचार किया है

गिरा नहीं , लड़खड़ाया नहीं

इरादा कभी मेरा डगमगाया नहीं

जीवन सुनामी को पार किया है

किया सदैव साहस का आलिंगन

धैर्य का उपवन सजाया है

संघर्षों का मैंने श्रृंगार किया है ।…

Continue

Added by Mohammed Arif on February 1, 2018 at 8:30am — 9 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service