For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सालिक गणवीर's Blog – June 2020 Archive (5)

ग़ज़ल ( जाना है एक दिन न मगर फिक्र कर अभी...)

(221 2121 1221 212)

जाना है एक दिन न मगर फिक्र कर अभी

हँस,खेल,मुस्कुरा तू क़ज़ा से न डर अभी

आयेंगे अच्छे दिन भी कभी तो हयात में

मर-मर के जी रहे हैं यहाँ क्यूँँ बशर अभी

हम वो नहीं हुज़ूर जो डर जाएँँ चोट से

हमने तो ओखली में दिया ख़ुद ही सर अभी

सच बोलने की उसको सज़ा मिल ही जाएगी 

उस पर गड़ी हुई है सभी की नज़र अभी

हँस लूँ या मुस्कुराऊँ , लगाऊँ मैं क़हक़हे

ग़लती से आ गई है ख़ुशी मेरे घर…

Continue

Added by सालिक गणवीर on June 30, 2020 at 8:00am — 14 Comments

ग़ज़ल ( ज़िंदगी में तेरी हम शामिल नहीं.....)

( 2122 2122 212 )

ज़िंदगी में तेरी हम शामिल नहीं

तूने समझा हमको इस क़ाबिल नहीं

जान मेरी कैसे ले सकता है वो

दोस्त है मेरा कोई क़ातिल नहीं

सारी तैयारी तो मैंने की मगर

जश्न में ख़ुद मैं ही अब शामिल नहींं

हमको जिस पर था किनारे का गुमाँ

वो भंवर था दोस्तो साहिल नहीं

सोच कर हैरत ज़दा हूँ दोस्तो

साँप तो दिखते हैं लेकिन बिल नहीं

देखने में है तो मेरे यार - सा

उसके होटों के किनारे तिल…

Continue

Added by सालिक गणवीर on June 17, 2020 at 11:00pm — 6 Comments

ग़ज़ल ( अभी जो है वही सच है....)

(1222 1222 1222 1222)

अभी जो है वही सच है तेरे मेरे फ़साने में

अबद तक कौन रहता है सलामत इस ज़माने में

तड़पता देख कर मुझको सड़क पर वो नहीं रूकता

कहीं झुकना न पड़ जाए उसे मुझको उठाने में

गले का दर्द सुनते हैं वो पल में ठीक करता है

महारत भी जिसे हासिल है आवाज़ें दबाने में

किसी दिन टूट जाएँगी ये चट्टानें खड़ी हैं जो

लगेगा वक़्त शीशे को हमें पत्थर बनाने में

अजब महबूब है मेरा जो पल में रुठ जाता है

महीने बीत…

Continue

Added by सालिक गणवीर on June 13, 2020 at 2:00pm — 12 Comments

ग़ज़ल ( कितनी सियाह रातों में.....)

( 2212 122 2212 122)

कितनी सियाह रातों में हम बहा चुके हैं

ये अश्क फिर भी देखो आंँखों में आ चुके हैं

गर आके देख लो तो गड्ढे भी न मिलेंगे

हाँ,लोग काग़ज़ों पर नहरें बना चुके हैं

अब खिलखिला रहे हैं सब लोग महफ़िलों में

मतलब है साफ सारे मातम मना चुके हैं

वो ख़्वाब सुब्ह का था इस बार झूठ निकला

ता'बीर के लिए हम नींदें उड़ा चुके हैं

अब पाप का यहाँ पर नाम-ओ-निशांँ नहीं है

सब लोग शह्र के अब गंगा नहा चुके…

Continue

Added by सालिक गणवीर on June 9, 2020 at 4:00pm — 9 Comments

ग़ज़ल ( दूर की रौशनी से क्या कहते..)

(2122 1212 22)

दूर की रौशनी से क्या कहते

था अंधेरा किसी से क्या कहते

जगमगाती सियाह रातों में

दर्द की चांदनी से क्या कहते

सारा पानी किसी ने रोका था

बेवजह हम नदी से क्या कहते

सामने उसके गिड़गिड़ाए थे

उसके खाता-बही से क्या कहते

अब वो हैवान बन गया तो फ़िर

हम उसी आदमी से क्या कहते

पी गए ख़ूं भी लोग सहरा में

आलमे-तिश्नगी से क्या कहते

तेरी गलियाँ तुझे मुबारक हो …

Continue

Added by सालिक गणवीर on June 7, 2020 at 4:30pm — 7 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service