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TEJ VEER SINGH's Blog (185)

आघात – ( लघुकथा ) –

आघात – ( लघुकथा ) –

वर्मा जी ने जीवन भर की क़माई  अपने इकलौते बेटे पवन के भविष्य को बनाने में लगा दी!पहले तो मंहंगी से मंहंगी कोचिंग का खर्चा फ़िर आई आई टी की मंहंगी पढाई!तत्पश्चात बेटे की एम बी ए करने की फ़रमाइश ! बची खुची पूंजी बेटे की शादी में खर्च कर दी !सोचा कि और किसके लिये कमाया है! 

बेटा पवन नौकरी करने विदेश चला गया!मॉ बाप अकेले!हारी बीमारी कोई पूछने वाला नहीं!तीन साल से न बेटा आया न बहू!शुरू में तो होली दिवाली फ़ोन आजाता था!अब तो वह भी नहीं आता!वर्मा जी जब भी फ़ोन मिलाते…

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Added by TEJ VEER SINGH on March 5, 2016 at 3:36pm — 10 Comments

पदोन्नति - ( लघुकथा ) –

पदोन्नति -  ( लघुकथा )  –

"डॉ साहब, बाबूजी ठीक तो हो जायेंगे ना"!

"देखिये कुमार बाबू, ऐसे तो इन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं है मगर इनका मानसिक संतुलन बडी जल्दी जल्दी बिगडता है,उससे ब्लड प्रैसर तेज़ी से  बढ जाता है! इससे लक़वा होने की संभावना रहती है!यदि इसमें सुधार नहीं हुआ तो मानसिक रुग्णालय भेजना पडेगा"!

"आपका मतलब पागलखाने"!

"जी हॉ, वैसे इनको यह दौरे कब से आते हैं"!

"बाबूजी सरकारी विभाग में अधीक्षक थे!बहुत मेहनत और ईमानदारी से कार्य करते थे!समय के पाबंद…

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Added by TEJ VEER SINGH on February 17, 2016 at 11:14am — 14 Comments

चिडिया उड गयी - ( वैलेंटाइन डे पर विशेष ) – ( लघुकथा ) -

चिडिया उड गयी - ( वैलेंटाइन डे पर विशेष ) –  ( लघुकथा ) - 

गोपाल के परिवार को  तीन महीने हो गये थे नये मुहल्ले मेंआये हुए!उसके पडोस में एक सुंदर लडकी रहती थी!शायद कमला नाम था!उसकी मॉ सारे दिन कम्मो कम्मो चिल्लाती रहती थी क्योंकि उसका पैर घर के अंदर नहीं टिकता था!!कमला अधिकतर घर के दरवाज़े पर ,लॉन में,छत पर या झूले पर ही दिखती थी ! धूप हो या ना हो हर समय काला धूप का चश्मा लगाये रहती थी !

गोपाल जब भी उस तरफ़ देखता कुछ ना कुछ इशारे करती दिखती!कभी कभी उसके हाथ में कोई खतनुमा कागज़ भी…

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Added by TEJ VEER SINGH on February 14, 2016 at 10:08pm — 8 Comments

चौकीदारी - ( लघुकथा ) –

चौकीदारी -  ( लघुकथा )  –

"तिवारी जी,सुना है आप के तो दौनों बेटे बहुत बडे   गज़टैड अफ़सर हैं!आप कैसे आ फ़ंसे यहां बृद्धाश्रम में"!

"सुनील जी, मैं तो यहां स्वेच्छा से आया हूं, बच्चे तो बहुत ज़िद करते हैं अपने साथ रखने की"!

"क्यों मज़ाक करते हो तिवारी जी,दिल बहलाने को सब यही कहते हैं, पर कौन अपना घर परिवार छोड कर यहां आता है"!

"यह मज़ाक नहीं,हक़ीक़त है"!

"फ़िर इसके पीछे कोई विशेष कारण रहा होगा"!

"ठीक सोचा आपने"!

"अगर ऐतराज़ ना हो तो वह कारण भी बता…

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Added by TEJ VEER SINGH on February 14, 2016 at 10:56am — 12 Comments

कल का छोकरा – ( लघुकथा ) -

 कल का छोकरा – ( लघुकथा ) -

"दद्दू , जय हिन्द"!

फ़िर उसने दद्दू के पैर छू लिये!दद्दू राम सिंह ने अपना चश्मा उतारा ,साफ़ किया,फ़िर पहना!

"कौन है भाई,पहचान नहीं पाये"!

"दद्दू, हम अमर सिंह के बडे बेटे सूरज हैं"!

"ये फ़ौज़ी बर्दी किसकी पहन ली"!

"यह अपनी ही है दद्दू"!

"क्यों मज़ाक करते हो बेटा,फ़ौज़ की बर्दी इतनी आसानी से नहीं मिलती!इस गॉव में अभी तक केवल हम ही हैं ,रिटायर्ड सूबेदार मेजर राम सिंह, जो ये सम्मान पाये हैं"!

"दद्दू,आपको याद है,जब हमने…

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Added by TEJ VEER SINGH on February 4, 2016 at 6:23pm — 23 Comments

मन्नत - ( लघुकथा ) –

गोपाल की बीवी राधा सुबह से रट लगाये थी ,” शाम को  जल्दी दुकान बंद कर के आ जाना!संकट मोचन चलेंगे!आपको जब पीलिया हुआ था तब मैंने मन्नत बोली थी कि आपके स्वस्थ होने पर सात कन्याओं को जिमाऊंगी, पर अभी हाथ थोडा तंग है,बीमारी में ज़्यादा खर्चा हो गया, फ़िर कभी देखेंगे! अभी तो एक सौ एक रुपये का प्रसाद चढाकर काम चला लेते हैं”!

गोपाल के आते ही दौनों स्कूटर पर मंदिर पहुंच गये!

दर्शन कर बाहर निकले तो राधा की नयी चप्पल गायब और गोपाल की ज़ेब से पर्स  नदारद ! गनीमत थी कि राधा के पर्स में हज़ार दो…

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Added by TEJ VEER SINGH on January 28, 2016 at 6:30pm — 12 Comments

विद्या दान – ( लघुकथा ) –

विद्या दान – ( लघुकथा  ) –

 सारे शहर में इश्तिहार लगे थे कि  शास्त्रीय संगीत की प्रख्यात गायिका पदमश्री सुमित्रा देवी  गंधर्व की सोलह  वर्षीय सुपुत्री एवम शिष्या संगीतिका गंधर्व के जीवन का प्रथम गायकी कार्य क्रम शाम को सात बजे टैगोर भवन में होगा!

इस क्षेत्र के जाने माने एवम  मशहूर लोग स्तब्ध थे क्योंकि सुमित्रा देवी ने संगीत के प्रति अपनी अटूट आस्था के चलते शपथ ली थी कि ना तो वह कभी विवाह करेंगी और ना कभी किसी को शिष्य बनायेंगी!

नियत समय पर कार्य क्रम शुरु हुआ!सर्व प्रथम…

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Added by TEJ VEER SINGH on January 24, 2016 at 8:02pm — 12 Comments

एक फ़ौज़ी की मौत – ( लघुकथा ) –

एक फ़ौज़ी की मौत – ( लघुकथा ) –

 "क्या हुआ नत्थी राम, किस बात पर कर ली आत्म हत्या तुम्हारे लडके ने,कोई चिट्ठी छोडी क्या"!

"थानेदार साब,वह आत्म हत्या नहीं कर सकता,वह तो एक फ़ौज़ी था,उसे मारा गया है"!

"पर उसका शरीर तो गॉव के बाहर पेड पर लटका मिला था"!

"यह सब साज़िश है,उसे मार कर लटका दिया गया"!

" ऐसा कैसे कह रहे हो, क्या तुम्हारी  दुश्मनी थी किसी से "!

"दरोगा जी, मैं तो सीधा सादा आदमी हूं!  मेरा बेटा शादी के लिये तीस दिन की छुट्टी ले कर आया था!जिस दिन वह…

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Added by TEJ VEER SINGH on January 21, 2016 at 6:39pm — 10 Comments

प्रतिशोध - ( लघुकथा ) –

प्रतिशोध -  ( लघुकथा  ) –

 "प्रधान जी, यह क्या देख रहा हूं!आज तो आप पंडित होकर भी ,अपने जानी दुश्मन,  हरिज़न विधायक गंगा राम  के बेटे को शराब और क़बाब की दावत  दे रहे थे और बराबर में साथ बैठा कर तीन पत्ती भी खिला रहे थे"!

"बाबूलाल, यह राजनीति है,तुम्हारी समझ में नहीं आयेगी"!

"कोई काम करवाना है क्या विधायक जी से"!

"मैं उस कुत्ते  की शक्ल भी देखना पसंद नहीं करता, उसकी वज़ह से तो मेरी विधायकी की सीट छिन गयी"!

"तो फ़िर इस दावत का क्या राज़ है"!

"इस राज़ को…

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Added by TEJ VEER SINGH on January 18, 2016 at 10:26pm — 14 Comments

कुल्टा कौन – ( लघुकथा ) –

कुल्टा कौन –  (  लघुकथा  ) –

सीमा जब से ब्याह के आई थी,कभी भी उसकी सासुजी ने सीधे मुंह बात नहीं की!चलो कोई बात नहीं!यह तो सदियों से चली आ रही रिवाज़ का हिस्सा है!पर सीमा को जो बात अखरती थी ,वह थी सासुजी का बार बार उसे “क़ुल्टा” कह कर पुकारना!उसने एक दो बार सासूजी को समझाने का प्रयास भी किया,

"मॉ जी,आप यह शब्द बोलती हो,इसका अर्थ जानती हो,कोई बाहर वाला सुनेगा तो आप के परिवार  की ही बदनामी होगी"!

सासु जी ने फ़लस्वरूप ,सीमा का बाहर जाना भी बंद कर दिया!

सासुजी को अचानक…

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Added by TEJ VEER SINGH on January 17, 2016 at 5:13pm — 8 Comments

दकियानूस - ( लघुकथा ) –

दकियानूस -  ( लघुकथा ) –

मनोहर की मृत्यु को आज तेरह दिन हो गये थे!उसके कर्मों का लेखा जोखा देख कर उसे स्वर्ग में ही एक सीट मिल गयी थी!यमराज़ उसकी डायरी देख बेहद प्रभावित थे!यमराज़ ने मनोहर की पीठ थपथपा कर शाबाशी दे डाली!मनोहर रोमांचित हो गया!यमराज़ का अच्छा मूड देख कर मनोहर ने एक इच्छा ज़ाहिर कर दी,

"आज मेरी तेरहवीं हो रही होगी,आपकी इज़ाज़त हो तो क्या मैं एक बार उस मौके को देख कर आ सकता हूं, थोडी तसल्ली कर लेना चाहता हूं कि कितने ज़ोर शोर से मेरा तेरहवॉ हो रहा है! "!

"देख भाई…

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Added by TEJ VEER SINGH on January 14, 2016 at 6:43pm — 10 Comments

गुल्लक - (लघुकथा ) –

गुल्लक -  (लघुकथा ) –

"क्या कमला,तूने तो परेशान करके रख दिया!आज तीन दिन बाद शक्ल दिखाई है"!

"मैम साब, मैं क्या करूं,आप ही बताओ,मेरा बेटा अस्पताल में भर्ती है,मुझे दो हज़ार रुपये चाहिये"!

"कमला,तू पहले ही दो महीने की पगार एड्वांस ले चुकी है"!

" एक एक पैसा चुका दूंगी ,मैम साब"!

"कमला, इस बार तो तू मुझे माफ़ कर दे, मेरे पास नहीं है इतने पैसे"!

सुनीता की सात साल की बेटी मिनी यह वार्तालाप सुनकर अपने कमरे में से बाहर निकली,

"कमला काकी, यह लो सत्रह सौ…

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Added by TEJ VEER SINGH on January 13, 2016 at 8:47am — 8 Comments

नेताजी – ( लघुकथा )

 नेताजी – ( लघुकथा ) 

 "दादीजी, आज सारे गॉव की गलियों में सफ़ाई और पानी का छिड्काव हो रहा है!पंचायत घर में भी लाउड्स्पीकर बज रहा है!लोग वहां फ़ूलों की मालायें लिये खडे हैं!कोई नेताजी आ रहे हैं क्या"!

"हां मेरी बच्ची, भविष्य के नेताजी आ रहे हैं"!

“भविष्य के नेताजी, दादीजी, मैं कुछ समझी नहीं"!

"प्रधान जी का बेटा आरहा है शहर से,इस बार वही प्रधानी का चुनाव लडेगा, इसलिये इतना प्रचार किया जा रहा है"!

"यह तो अच्छी बात है,नया खून आगे आयेगा तो विकास तेज़…

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Added by TEJ VEER SINGH on January 11, 2016 at 10:38am — 20 Comments

सबसे बडा दुख (लघुकथा)

सत्तर वर्षीय राजेश जी के इकलौते बेटे किशोर की मृत्यु पिछले साल एक कार दुर्घटना में हो गयी थी!पत्नी की मृत्यु किशोर की शादी से पहले ही हो चुकी थी! अब परिवार के नाम पर राजेश जी और उनकी जवान पुत्र बधु सीमा थी!वह भी बैंक में कार्यरत थी! जवान किशोर की मौत के सदमे ने दौनों को लगभग मूक बना दिया था!दौनों में से कोई किसी से बात चीत  नहीं करते थे!वश यंत्र वत अपने अपने कार्य करते रहते थे! किशोर की बरसी की रस्म पूरी होते ही राजेश जी ने सीमा को समझाया,"सीमा तुम पढी लिखी, सुंदर, जवान और  कामकाजी महिला हो!…

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Added by TEJ VEER SINGH on January 4, 2016 at 6:30pm — 16 Comments

दर्द का रिश्ता - (लघुकथा) –

"निर्मला, कुछ सुना तूने,दौनों देशों में समझौता हुआ है! छब्बीस जनवरी को सारे कैदियों की अदला बदली होगी!तेरा भाई छुट्टन भी वापस आ जायेगा"!

"ताई सुना तो है,पर जब तक छोटू को सामने नहीं देख लेती, मुझे किसी पर भरोसा नहीं "!

"निम्मो,मुझे सब पता है! तुझे  क्या क्या पापड बेलने पडे ! छुट्टू तो बेचारा सात साल की उम्र में इनके चुंगुल में फ़ंस गयाथा ! दोस्तों के उकसावे में अपनी गैंद लाने सरहद पार चला गया था "!

"ताई, छुट्टू के साथ साथ फ़ंसा तो हमारा पूरा परिवार ही था, इन ज़ालिमों की…

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Added by TEJ VEER SINGH on January 3, 2016 at 4:00pm — 13 Comments

गॉड फ़ादर (लघुकथा )

खूबसूरत राखी एक बेहतरीन नृत्यांगना और अभिनेत्री थी!फ़िल्म उद्योग में तीन साल से हाथ पैर मार रही थी!काम तो मिल रहा था मगर उसकी प्रतिभा के मुताविक…

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Added by TEJ VEER SINGH on December 4, 2015 at 5:30pm — 15 Comments

धर्म – -( लघुकथा ) –

तीन दिन से शहर में कर्फ़्यु लगा हुआ था!चारों तरफ़ सन्नाटा पसरा हुआ था!सडक पर एक मक्खी भी नहीं दिख रही थी! उसका  पूरा परिवार एक शादी में दिल्ली गया हुआ था!शहर में दंगों के कारण उनका लौटना भी नहीं हो पा रहा था!वह घर पर अकेला ही था!बुढापे और बीमारी के कारण वह शादी में नहीं जा सका था! तीन दिन से दूध वाला,सब्ज़ी वाला ,कामवाली बाई,खाना बनाने वाली बाई आदि भी नहीं आ रहे थे!डाइबिटीज़ और ब्लड प्रैसर की दवा भी खत्म हो गयी थी!जैसे तैसे डबल रोटी के सहारे दिन गुजार रहा था!सुबह से उसे चक्कर आ रहे थे…

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Added by TEJ VEER SINGH on December 3, 2015 at 2:00pm — 18 Comments

फ़िरोज़ा बेगम –लघुकथा -

फ़िरोज़ा बेगम –लघुकथा - 

 असली नाम तो उसका शबनम बानो था मगर पूरा गॉव उसे फ़िरोज़ा बेगम पुकारता था!इसकी वज़ह थी कि वह निकाह वाले दिन फ़िरोज़ी सूट पहनी थी!सबने मना किया था कि यह शुभ रंग नहीं है!लेकिन वह ज़िद पर अडी रही! क्योंकि फ़िरोज़ी रंग उसका पसंदीदा रंग था!वह वैसे भी शुभ अशुभ में विश्वास नहीं करती थी!

शकील अहमद से उसकी मुलाक़ात एक शादी में हुई थी!शकील का व्यक्तित्व भी गज़ब का  था!वह भी अप्रतिम सौंदर्य की मालकिनथी ! दौनों ने एक दो मुलाक़ात में ही निक़ाह का फ़ैसला कर लिया !

शकील की…

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Added by TEJ VEER SINGH on December 1, 2015 at 6:46pm — 15 Comments

प्रायश्चित - (लघुकथा ) –

 प्रायश्चित - (लघुकथा ) –

"जतिन, रेखा गर्भवती है"!

"वाह, बधाई ,यह तो खुशी की बात है"!

"जतिन,क्वारी लडकी का गर्भवती होना किस समाज में खुशी की बात होती है"!

"तुम किस की बात कर रही हो"!

"तुम अच्छी तरह जानते हो मैं किस की बात कर रही हूं!मैं मेरी छोटी बहिन रेखा की बात कर रही हूं"!

"ओह ,मैंने समझा कि तुम अपनी किसी सहेली की बात कर रही हो"!

"तुम जानते हो उसके गर्भ का जिम्मेवार कौन है"!

"नहीं,मैं कैसे जानूंगा"!

"अरे वाह,खुद की काली करतूत…

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Added by TEJ VEER SINGH on November 15, 2015 at 1:41pm — 25 Comments

अनहोनी - (लघुकथा)

अनहोनी - (लघुकथा) –

दीपावली  पूजन की तैयारी हो रही थी!दरवाज़े की घंटी बजी!जाकर देखा,दरवाज़े पर अनवर खान साहब सपरिवार मिठाई का पैकेट लिये  खडे थे!हमारे ही मोहल्ले में रहते थे!मोहल्ले के इकलौते मुसलमान थे!किसी के जाना आना नहीं था!पूरा मोहल्ला एक तरफ़ और खान साहब एक तरफ़!कोई तनाव या टकराव नहीं था! सब शांति से चल रहा था मगर फ़ासले थे!

अचानक ऐसी स्थिति का सामना कैसे करें, जिसके बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा!हमारे कुछ कहने सुनने से पहले खान साहब ने मिठाई हाथ में देते हुए दिवाली की…

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Added by TEJ VEER SINGH on November 12, 2015 at 11:02am — 24 Comments

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
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"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
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"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
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