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वीनस केसरी's Blog – December 2012 Archive (3)

ग़ज़ल - खूब भटका है दर-ब-दर कोई

एक और ग़ज़ल पेश -ए- महफ़िल है,

इसे ताज़ा ग़ज़ल तो नहीं कह सकता, हाँ यह कि बहुत पुरानी भी नहीं है

गौर फरमाएँ



खूब भटका है दर-ब-दर कोई |


ले के लौटा है तब हुनर कोई |



अब पशेमां नहीं बशर कोई…

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Added by वीनस केसरी on December 17, 2012 at 4:17am — 12 Comments

ग़ज़ल - इतनी शिकायत बाप रे

एक और शुरुआती दौर की ग़ज़ल......

कच्चे अधपके ख्यालात.......

एक दो शेअर शायद आपने सुना हो, पूरी ग़ज़ल पहली बार मंज़रे आम पर आ रही है

बर्दाश्त करें ....




इतनी शिकायत बाप रे  |

जीने की आफत बाप रे  |



हम भी मरें तुम भी मरो,…

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Added by वीनस केसरी on December 12, 2012 at 3:05am — 16 Comments

ग़ज़ल - फकत शैतान की बातें करे है

वादा किया था कि जल्द ही कुछ पुरानी ग़ज़लें साझा करूँगा,,,

  एक ग़ज़ल पेश -ए- खिदमत है गौर फरमाएं ...






फकत शैतान की बातें करे है ?

सियासतदान  की बातें करे है !



अँधेरे से न पूछो उसकी ख्वाहिश,

वो रौशनदान की बातें करे है |…



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Added by वीनस केसरी on December 7, 2012 at 6:07am — 10 Comments

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