For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - इतनी शिकायत बाप रे

एक और शुरुआती दौर की ग़ज़ल......
कच्चे अधपके ख्यालात.......
एक दो शेअर शायद आपने सुना हो, पूरी ग़ज़ल पहली बार मंज़रे आम पर आ रही है
बर्दाश्त करें ....


इतनी शिकायत बाप रे  |
जीने की आफत बाप रे  |

हम भी मरें तुम भी मरो,
ऐसी मुहब्बत बाप रे |

जो खौफ बाँटें उनके भी,
लब पर तिलावत बाप रे |
तिलावत - कुरआन पाठ


नेता दरोगा और क्लर्क,
इनकी शराफत बाप रे |

शब भर करें हैं जुल्म और,
दिन भर इबादत बाप रे |

ऐसी पडी है देश को,
लुटने की आदत बाप रे |

कुछ शर्म कर अह्.ले  सुखन,
पल पल सियासत बाप रे | 

घायल पड़ा है जब वतन,
फिर भी शराफत बाप रे |

२४/०४/२०१०

Views: 731

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on December 19, 2012 at 9:37pm

खुले दिल से मिली दाद ओ तनकीद और हौसला अफजाई के लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ


Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 12, 2012 at 11:38pm

बाप रे बाप! अच्छे अश’आर हैं साहब। दाद कुबूल हो।

Comment by ajay sharma on December 12, 2012 at 10:33pm

और भी हैं सुखनवर ओबिओ में 

आप जैसा मगर बाप रे  1

कच्चे अधपके ख्यालात हैं ये  ?

हर शेर में इतना असर बाप रे  2 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 12, 2012 at 8:40pm

छोटी बहर अच्छी ग़ज़ल,
इतनी कसावट बाप रे |
दाद कुबूल करें वीनस भाई |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 12, 2012 at 7:05pm

वीनस तेरा ’हर बार मैं-
उम्दा कहूँ’ लत बाप रे !... .

अब और क्या कहूँ ?!! .. . बधाई-बधाई.. . बहुत-बहुत बधाई. 

Comment by Shyam Narain Verma on December 12, 2012 at 5:39pm

BAHOT KHOOB JEE

Comment by राजेश 'मृदु' on December 12, 2012 at 5:35pm

कच्‍चे-कोरे मन बड़े अच्‍छे होते हैं ठीक वैसी ही यह गजल भी है, सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 12, 2012 at 5:29pm

क्या बात है वीनस सर जी जय हो
बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने
अब क्या कहूँ

चोरी से इनके घर चलें 
पर शानो सौकत बाप रे 

बहुत खूब सर जी

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on December 12, 2012 at 5:07pm

बधाईयां-बधाईयां ढेरों बधाईयां.. पुराने रत्न जगमगा रहे हैं..

नेता, दरोगा और क्लर्क,

इनकी शराफ़त बाप रे --> वादा करें यह लाख पर,

                               छूटे न आदत बाप रे;

शब भर करें हैं ज़ुल्म और,

दिन भर इबादत बाप रे! --> अल्लाह मेरे इनसे अब,

                                  कर तू हिफ़ाज़त बाप रे; 

पुनश्चः बधाई.. :-))

Comment by Dr.Ajay Khare on December 12, 2012 at 1:55pm

bahut sateek vyang he kesari ji aap badai ke hakdaar he

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service