11212- 11212- 11212- 11212
मेरी चाहतें यूँ निखार दे, मेरी शाम कोई सँवार दे
सरे बाम चाँदनी है खिली, मेरे दिल पे कोई उतार दे
करे रौशनी इन अँधेरो मे, ये चिराग यूँ जले उम्र भर
वो ज़िया सा ताब दे ऐ खुदा, उसे चाँद सा तू वक़ार दे
उसे देखता हूँ चमन-चमन, कि रविश-रविश मैं करूँ कियाम
कभी खुश्बुएँ वो बिखेर दे, मुझे शबनमी सी फुहार दे
वो खुली ज़मीन खिला चमन, वो हवा, महकती हुई फ़िज़ा
वही साअतें करे फिर अता, मुझे फिर…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on November 17, 2013 at 6:06pm — 38 Comments
1212 1122 1212 22
सियाह रात के पर्दे में है निहाँ सा कुछ
ज़मीं से आज उठे है धुआँ-धुआँ सा कुछ
ये ज़ोर शम्अ का है जो बुझी नही शब भर
गया करीब से तूफान बदगुमाँ सा कुछ
न जाने कौन खिरामां सफ़र में था मेरे
तमाम राह चला साथ कारवाँ सा कुछ
चिराग सा कभी, आतिशबजाँ लगे है गाह
वो टिमटिमाता अँधेरों में इक मकाँ सा कुछ
ये बदलियाँ जो हटीं चाँद भी खिला तनहा
इक अर्से बाद नज़र आया शादमाँ सा…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on November 5, 2013 at 9:00am — 16 Comments
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