For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Mohammed Arif's Blog – October 2017 Archive (7)

कटाक्षिकाएँ

(1) घपला !
घोटाला !
सुर्खियाँ !
मीडिया !
जाँच आयोग !
पुन: जाँच आयोग !
परिणाम -
शून्य ! शून्य ! शून्य !!
(2) इन दिनों मैं
एक अजीबों गरीब
बीमारी का शिकार हूँ
लक्षण यह है कि -
समाजों में रहने और
इंसानों से डरने लगा हूँ ।
(3) हत्या ! लूट !!
बलात्कार ! बलवा !!
मुक़द्दमा !
तारीख़ें !
सज़ा !
जेलों में सुविधा ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Added by Mohammed Arif on October 25, 2017 at 11:40pm — 12 Comments

लघुकथा--लूट

भोला ने हाँफते-हाँफते घर में प्रवेश किया और माँ से बोला -" जल्दी से दे......जल्दी से दे....देर न कर...बाहर लूट मची है....लूट मची है... मुझे भी लूटकर लाना है.....।"

" मगर क्या दे दूँ..... किस चीज की लूट मची है....मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा बेटा....?"

" दो-चार खाली डिब्बे और कुछ प्लास्टिक की बोतलें दे दे ।'

" लेकिन क्यों ?"

" तू नहीं समझेगी माँ । कल रात अयोध्या में नई सरकार ने लाखों की संख्या में दीए जलाए थे । दीयों में बचा तेल हमारे जैसे कई गरीब के बच्चे लूट के ले जा रहे हैं… Continue

Added by Mohammed Arif on October 22, 2017 at 7:02am — 26 Comments

लघुकथा--मलिका

" कौन हो तुम ?"
" जन्म से मुस्लिम , मन से सच्चा हिन्दुस्तानी , तन से अधनंगा और पेट से भूखा हूँ ।"
"लेकिन आप यह सब क्यों पूछ रही हैं ?आप कौन हैं ?"
" हा! हा! हा ! हा ! हा !" ज़ोर का अट्टहास किया और बोली-" मुझे दंगों की दुनिया की बेताज मलिका "साम्प्रदायिकता" कहते हैं । " उसने बस इतना ही कहा और एकदम पिस्टल निकालकर दो-तीन गोलियाँ उसकी कनपटी में दाग दी और फरार हो गई ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Added by Mohammed Arif on October 17, 2017 at 10:59pm — 33 Comments

बीमार कविता

इन दिनों कविता को
थकान और कमज़ोरी है
रागात्मकता पर
हो रहे हैं
लगातार हमलें
काव्य-बोध न होने से
उसके पैर लड़खड़ा रहे हैं
भाव , कल्पना न होने से
कभी-कभी चक्कर खाकर
औंधे मुँह गिर जाती है
जिव्हा भी लड़खड़ा रही है
अभिव्यक्ति न होने से
उसे बार-बार चक्कर आते हैं
सौंदर्यबोध न होने से
अंदर ही अंदर जैसे
उसे घुन लग गई है
क्या कविता भी
डायबिटीक नहीं हो गई है ?

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Mohammed Arif on October 14, 2017 at 12:00pm — 11 Comments

समय का चक्कर (कटाक्षिकाएँ)

(1) समय के
मोबाइल फोन पर
सिकुड़ती हुई
संवेदना के वायब्रेशन है ।
(2) समय के
जल की शिराओं में
भविष्य का दौड़ता
जल संकट है ।
(3) समय के
दाम्पत्य पर
अलगाव की
लकीरें है ।
(4) समय की कॉकटेल में
महानगर के
बीयर-बार में
नियॉन रोशनी में
तनाव मुक्ति की
शराब उडेली
जा रही है ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Added by Mohammed Arif on October 10, 2017 at 11:32pm — 16 Comments

लघुकथा- भेड़िया

" क्या कहा ,हमेशा के लिए आ गई है । "
"हाँ !हाँ ! हाँ !! कितनी बार कहूँ मैं हमेशा के लिए आ गई हूँ ।" श्वेता ने झुँझलाकर कहा ।
"आखिर क्यों बेटी ?कुछ तो वजह होगी ?"
"वही भेड़िया ।अब वो मौका पाकर मेरा शिकार करना चाहता है । "
अब माँ को अच्छे से समझ में आ गया । भेड़िया और कोई नहीं श्वेता का देवर है क्योंकि वह पहले भी कई बार माँ को बतला चुकी है ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Added by Mohammed Arif on October 7, 2017 at 11:30pm — 7 Comments

लघुकथा - पर्यावरण-प्रेमी

"बधाई हो मिश्रा जी , हार्दिक बधाई आपको । कल के सारे अखबारों में आपकी न्यूज़ थी । सभी अखबारों ने बड़ी प्रमुखता से आपके "एण्टी-पॉलिथीन कैम्पेन " के बारे में छापा है । बहुत अच्छा काम कर रहे हैं आप पर्यावरण के लिए । वाकई पॉलिथीन बहुत खतरनाक है । इससे कई गायें भी काल के गाल में समा रही है ।"

" जी, गुप्ता जी ! मेरा मिशन है पॉलिथीन मुक्त पर्यावरण । चाहता हूँ सरकार इस पर पूरी तरह से बैन लगा दें । बस ! इसी में लगा हूँ । "

" देश को आप जैसे पर्यावरण बचाव योद्धाओं की ज़रूरत है ।"

" गुप्ता जी… Continue

Added by Mohammed Arif on October 4, 2017 at 4:08pm — 16 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service