For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रामबली गुप्ता's Blog – September 2016 Archive (5)

गीत-सखि! री! मन न धरे अब धीर -रामबली गुप्ता

सखि! री! मन न धरे अब धीर।

विरही मन ले वन-वन डोलूँ, सही न जाये पीर।

सखि! री! मन न धरे अब धीर।



ना चिट्ठी ना पाती आयो, ना कोई संदेश।

जाय बसे कौने सौतन घर, प्रियतम कौने देश।।

राह तकत बीते दिन-रैना छिन-छिन घटत शरीर।

सखि! री! मन न धरे अब धीर।



बीते कितने साल-महीने, बीत गए मधुमास।

कितने सावन-भादो बीते, पर ना छूटी आस।।

अँखियाँ पिय दर्शन की प्यासी, झर-झर बरसत नीर।

सखि! री! मन न धरे अब धीर।



सेज-सिँगार भयो सब सूना, कजरा बहि-बहि… Continue

Added by रामबली गुप्ता on September 23, 2016 at 5:30am — 10 Comments

प्रकृति-दोहा छंद, शृंगारिक मत्त सवैया-रामबली गुप्ता

प्रकृति : दोहा छंद



सिंधु-शैल-सरि-नभ-धरा, तारक-रवि-सारंग।

पेड़-पुष्प-नर-जन्तु-खग, सभी प्रकृति के अंग।।



महकाते खिल के सुमन, प्रकृति-युवति के अंग।

स्वच्छ गगन तन-वसन को, देता स्यामल रंग।।



मृदा-वायु-जल-वृक्ष-वन, प्रकृति-दत्त सौगात।

युक्ति-युक्त दोहन करें, सुखी रहें दिन-रात।।



सखे! प्रकृति ने है दिया, संसाधन अनमोल।

सौम्य-सरल दोहन करें, सुख के पट लें खोल।।



मृदा मृदुल-जल वायु को, सखे! सहेजें नित्य।

धरा प्रदूषण मुक्त हो, करिये… Continue

Added by रामबली गुप्ता on September 20, 2016 at 4:09pm — 18 Comments

ग़ज़ल-जन-जन में' मैं सद्भाव का संचार करूंगा।-रामबली गुप्ता

वह्र-2212 2212 221 122



जन-जन में' मैं सद्भाव का संचार करूँगा।

सबके दिलों पे प्यार से अधिकार करूँगा।।



नित द्वेष औ' दुर्भाव को कर दूर हृदय से।

मैं प्यार से झंकृत दिलों के तार करूँगा।।



जातीयता औ' धर्म के हर भेद मिटा मैं।

सबसे सदा समभाव का व्यवहार करूँगा।।



निज राष्ट्र के रक्षार्थ रण में शीश खुशी से।

बलिदान क्या इक बार मैं सौ बार करूँगा।।



प्रति पग अहिंसा-प्रेम औ' सन्मार्ग पे चल कर।

मैं विश्व में सुख-शांति का विस्तार… Continue

Added by रामबली गुप्ता on September 13, 2016 at 3:00pm — 10 Comments

ग़ज़ल-तुम्हारा प्यार चंदन-रामबली गुप्ता

वह्र=1222 1222 122



तुम्हारा प्यार चंदन हो गया है।

सुवासित आज तन-मन हो गया है।।



जो' सूना बाग दिल का था सदा से।

तेरे आने से' मधुबन हो गया है।।



ये' मन-मन्दिर तू' मूरत ईश जैसी।

ये' मेरा प्यार पूजन हो गया है।।



जलाया प्यार का जो दीप तुमने।

अँधेरा दिल ये' रौशन हो गया है।।



न टूटेगा जो' मर कर भी जहां में।

मेरा तुझसे वो' बन्धन हो गया है।।



धनुष-भौहें ये' चंचल नैन तेरे।

छुरी ये हाय! अंजन हो गया… Continue

Added by रामबली गुप्ता on September 5, 2016 at 8:00am — 4 Comments

स्वर्गीय माँ की स्मृति में(ताटंक छंद)-रामबली गुप्ता

जीवनदात्री माता जब भी, याद तुम्हारी आती है।

हरि-सम निर्मल छवि माँ! तेरी मानस-पट पर छाती है।।

याद सदा आती हैं मइया! प्यार भरी तेरी बातें।

गाकर लोरी मुझे सुलाया, जागी तू कितनी रातें।।1।।



दूध-भात के कौर मधुर वो, मुझे न विस्मृत हो पाते।

जब आँचल में सो कर तेरे, हम सपनों में खो जाते।।

धूल-धूसरित तन ले जब आ बैठ गोद में जाता था।

हर भय से हर संशय से माँ! सहज-सुरक्षा पाता था।।2।।



बनी प्रथम गुरु-गुरुकुल तुम ही, नित नव बात बताती थी।

छोटों को दूं… Continue

Added by रामबली गुप्ता on September 1, 2016 at 5:30pm — 7 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई सुशील जी, सुंदर दोहावली हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भूल सुधार - "टाट बिछाती तुलसी चौरा में दादी जी ""
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ.गिरिराज भंडारी जी, नमस्कार! आपने फ्लेशबैक टेक्नीक के  माध्यम से अपने बचपन में उतर कर…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी।"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service