For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रकृति-दोहा छंद, शृंगारिक मत्त सवैया-रामबली गुप्ता

प्रकृति : दोहा छंद

सिंधु-शैल-सरि-नभ-धरा, तारक-रवि-सारंग।
पेड़-पुष्प-नर-जन्तु-खग, सभी प्रकृति के अंग।।

महकाते खिल के सुमन, प्रकृति-युवति के अंग।
स्वच्छ गगन तन-वसन को, देता स्यामल रंग।।

मृदा-वायु-जल-वृक्ष-वन, प्रकृति-दत्त सौगात।
युक्ति-युक्त दोहन करें, सुखी रहें दिन-रात।।

सखे! प्रकृति ने है दिया, संसाधन अनमोल।
सौम्य-सरल दोहन करें, सुख के पट लें खोल।।

मृदा मृदुल-जल वायु को, सखे! सहेजें नित्य।
धरा प्रदूषण मुक्त हो, करिये ऐसे कृत्य।।

मत्त सवैया छंद

बन के रजनीगंधा-जूही,
तुम चली झूम किस ओर प्रिये!

मुख-चन्द्र छिपा घन-कुंतल में,
बंकिम नयनों से घात किये।

तन-यौवन ज्यों नव-पुष्प खिला,
भर-भर गगरी मकरंद लिये।

रसपान बिना मधु-अधरों का,
यह भ्रमर कहो किस भाँति जिये।।

रचना-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1026

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on September 23, 2016 at 5:53am
आद0 सौरभ सर , कोई बाध्यता नही थी, छोटी-छोटी रचनाएँ थी इसलिए एक साथ पोस्ट कर दिया। यदि ऐसा कुछ गड़बड़ है तो आगे के पोस्टों में ध्यान रखूँगा।
रचनाओं के बारे में तो आपने कुछ लिखा ही नही यदि कोई त्रुटि हो तो कृपया संशोधन सुझाएं( मने हमरी कॉपी जांच लें प्लीज़) मुझे आपके कमेंट्स की खास प्रतीक्षा रहती है। सानुरोध

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 22, 2016 at 11:38pm

दो भिन्न छंदों की रचनाओं को एक साथ प्रस्तुत करने की बाध्यता समझ में नहीं आयी. 

Comment by रामबली गुप्ता on September 22, 2016 at 4:28am
आद० भाई सतविंदर जी रचना पर प्रतिक्रिया एवं सराहना के लिए आपका बहुत बहुत आभार
Comment by रामबली गुप्ता on September 22, 2016 at 4:26am
आद० सुशील सरना भाई जी रचना पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 21, 2016 at 10:43pm
आदरणीय राम बली भाई,मनहरण रचना कर्म,जय जय
Comment by रामबली गुप्ता on September 21, 2016 at 9:20pm
आद०सुरेश कुमार भाई जी सराहना के लिए आपका हृदय से आभार
Comment by रामबली गुप्ता on September 21, 2016 at 9:18pm
आद० गोपाल नारायन जी आपके प्रोत्साहन एवं सुझावों से रचनाकर्म को निश्चय ही बल मिलता है इसके लिए हृदय से आभार
Comment by रामबली गुप्ता on September 21, 2016 at 9:15pm
आद० श्याम नारायण भाई जी सराहना के लिए आपका बहुत बहुत आभार
Comment by रामबली गुप्ता on September 21, 2016 at 9:13pm
आद० गुरुदेव आपका हृदय से आभार
Comment by रामबली गुप्ता on September 21, 2016 at 9:11pm
आदरणीय शिज्जु शकूर भाई जी रचना पर प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदय से आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
4 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
11 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
15 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
17 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service