For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिन को चैन और रातों को नींद नहीं है इक पल-रामबली गुप्ता

गीत

देखा जब से उनको हिय में हुई अजब सी हलचल।
दिन को चैन और रातों को नींद नहीं है इक पल।।

उनके अरुण अधर ज्यों फूलों की हों कोमल कलियाँ।
जिनसे फूटें स्वर मधुरिम तो गूँजें मन की गलियाँ।।
केशों के झुरमुट में उनका मुखमंडल यों भाये।
घन के मध्य झरोखे में ज्यों इंदु मंद मुसकाये।।

दृग पराग के प्याले हों ज्यों करते हर पल छल-छल।
दिन को चैन और रातों को नींद नहीं है इक पल।।

खिलता यौवन-पुष्प सुरभि यों चहुँ दिश बिखराता है।
दूर दिशाओं से अलि का दल खिंचा चला आता है।।
पुरवाई यदि आँचल उनका तन से तनिक उड़ाए।
जनम-जनम का पागल मन यह सुध-बुध खोता जाए।।

हाय! महकती काया उनकी जैसे महके संदल!
दिन को चैन और रातों को नींद नहीं है इक पल।।

जतन करो कुछ मित्रो! उनसे मिलना निश्चित होए।
बिना मिलन के उनसे मन यह धैर्य निरंतर खोए।
अधिक कहूँ क्या समझो इतना जीना है अब दूभर।
उनके बिन है मृत्यु सुनिश्चित विरह अगिन में जल कर।।

नैन मिले हैं उनसे जब से रहे हृदय यह बेकल।
दिन को चैन और रातों को नींद नहीं है इक पल।।

रचनाकार-रामबली गुप्ता

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 422

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on May 12, 2020 at 2:02pm

सादर आभार आदरणीय डॉ छोटेलाल जी

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on May 3, 2020 at 7:23pm

आदरणीय रामबली जी आपकी प्रतिभा से मैं भलीभाँति अवगत हूँ, आपकी यह रचना बहुत ही धारदार है मार्मिक है, दिल से बधाई कुबूल कीजिये

Comment by रामबली गुप्ता on April 30, 2020 at 5:02pm

सादर धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण भाई साहब

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 29, 2020 at 7:34pm

आ. भाई रामबली जी, सादर अभिवादन । एक अच्छी रचना के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by रामबली गुप्ता on April 29, 2020 at 2:59pm

सहृदय धन्यवाद सुरेन्द्रनाथ जी

Comment by नाथ सोनांचली on April 29, 2020 at 6:09am

आद0 रामबली जी सादर अभिवादन। सृंगार रस से सराबोर बेहद उम्दा सृजन। बधाई स्वीकार कीजिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
6 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
11 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service