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सुरेश कुमार 'कल्याण''s Blog – August 2016 Archive (2)

एक संदेश : बेटियों के नाम (कुकुभ छन्द )/ सुरेश कुमार ' कल्याण '

मेरी बेटी अब तुम जागो

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मेरी बेटी अब तुम जागो, पढ़ लिख कुछ बन दिखलाओ।

नहीं पैर की जूती औरत, दुनिया को ये बतलाओ ।



वक्त पुराना बीत चुका तू, घर की शोभा होती थी ।

झाड़ू पोंछा मार पिटाई, सिर पे बोझा ढोती थी ।

पढ़ना लिखना नहीं भाग में, अनपढ़ता में रोती थी ।

ज्ञान पुष्प बरसाकर सुन्दर, बगिया को तुम महकाओ।

मेरी बेटी अब तुम---------।



लीपा पोती चुल्हा चौका, सबको लगते हैं प्यारे।

औरत ने सदियों से बेटी, फूल खिलाए हैं… Continue

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 29, 2016 at 11:30am — 8 Comments

वक्त लगता है

गुस्से को शांति में बदलने

में वक्त लगता है......

अंधेरों से उजाले चमकने

में वक्त लगता है......

सब्र कर, कोशिशें अपनी

जारी रख

जंग लगे ताले को खुलने

में वक्त लगता है. ....

जब थक जाए तो रूक,

सोच, हिम्मत बुलन्द कर,

हर हार के बाद जीतने

में, वक्त लगता है. .....

फिर से महकेंगे तेरे

घर-आंगन,टूटे सपनों को जोड़,

बोल उठेगी तेरी आत्मा, टूटे को संभलने

में वक्त लगता है. ....

क्या सोच रहा भविष्य बारे,

भरोसा रख,

घटा जब… Continue

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 1, 2016 at 2:00pm — 6 Comments

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