२१२२ ११२२ २१२
तेरी बातों से बड़ा हैरान हूँ
जिन्दगी मेरी बड़ा परेशान हूँ
क्या खता है, है सही क्या, क्या गलत
बेखबर इन से अभी नादान हूँ
मेरी खातिर है नहीं इक पल उन्हें
जो कहा करते थे उनकी जान हूँ
इश्क करना भी हुनर इक हो गया
इस हुनर से तो अभी अनजान हूँ
सांस चलती है तो जिंदा कहते सब
पर खबर मुझको कि मैं बेजान हूँ
है न चाहत का सबब मुझको पता
धड़कने कहती हैं बस कुरवान…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on July 28, 2014 at 3:25pm — 10 Comments
२२ १२२२ २१२ २१२ २२
कोशिस मसीहा बनने की जब कर रहा है तू
तो सूलियों पे चढ़ने से क्यूँ डर रहा है तू ?
मैंने सुना तू सोने को मिट्टी बताता है
क्यूँ फिर तिजोरी सोने से ही भर रहा है तू ?
सबको दिखाया करता है तू मुक्ति के पथ ही
खुद सोच क्यूँ घुट घुट के ही यूं मर रहा है तू ?
तूने उठायी उंगली सभी के चरित्र पर है
सबको खबर रातों में कहाँ पर रहा है तू
ले नाम क्यूँ मजहब का लड़ाता सभी को…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on July 15, 2014 at 4:30pm — 21 Comments
१२१२ ११२२ १२१२ २२/११२
अभी सुहाग कि मेहंदी हटीं न हाथों से
जहर उगलने लगे हैं बशर तो बातों से
जो घूमते थे सदा तान सीना जंगल में
वो शेर टूटे हैं जंगल में अपनी मातों से
हयात रो के गुजारी तमाम जनता नें
कहाँ ये लात के हैं भूत मनते बातों से ?
सुना है आज वो संसद है इक मंदिर सी
सुना था पहले जो चलती थी घूंसे लातों से
गले न मिलते हैं अब लोग इस सियासत में
कहीं न छीन ले कुर्सी ही कोई घातों…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on July 6, 2014 at 7:56pm — 8 Comments
2222 2222 2222 22
चलते चलते इन राहों में जब मिल जाते हो तुम
जाने क्या हो जाता है जो यूं सकुचाते हो तुम
तेरी आँखों में लगता है काला कोइ जादू
जिसपे नजरें पड़ जाती उसको भरमाते हो तुम
इक पल को आते हो छत पर फिर गुम हो जाते हो
क्या बच्चो के जैसा ही हमको बहलाते हो तुम
उजला उजला योवन तेरा फूलों सा है भाये
क्यूँ छुईमुई जैसा छू लेने पर मुरझाते हो तुम
तेरी इन मादक आँखों से मदिरा छलका…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on July 3, 2014 at 3:39pm — 8 Comments
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