For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Nilesh Shevgaonkar's Blog – July 2014 Archive (5)

रावण को तू राम बता

२२/२२/२२/२ 
.
रावण को तू राम बता,
और सहाफ़त काम बता. ...सहाफ़त-पत्रकारिता 
.

बिकने को तैयार हैं सब,
तू भी अपने दाम बता.
.

सीख ज़माने वाला फ़न,
धूप कड़ी हो, शाम बता. 
.

झूठ भी सच हो जाएगा,
बस तू सुब्हो शाम बता.   
.

चाहे काट हमारा सर,
पर पहले इल्ज़ाम बता.    

.

क़ातिल ख़ुद मर जाएगा,
बस मक़्तूल का नाम बता. 
.
निलेश "नूर"
मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Nilesh Shevgaonkar on July 28, 2014 at 9:00am — 11 Comments

ग़ज़ल-निलेश "नूर"-न कोई कशिश है न कोई में ख़ला है

१२२/१२२/१२२/१२२

.

न कोई कशिश है न कोई ख़ला है,

ये दिल बावला था ये दिल बावला है.

.

गुनहगार ग़ैरों को क्यूँ कर कहें हम,

वो थे लोग अपने जिन्होंने छला है.   

.

टटोला कई बार ख़ुद को तो पाया, 

जहाँ धडकने थीं वहाँ आबला है.....  आबला- छाला 

.

चढ़ा था नज़र में, जिगर तक न पहुँचा,

नज़र से जिगर तक बड़ा फ़ासला है.         

.

उठाऊंगा मुद्दा क़यामत के दिन ये,

मेरे हक़ का हर फ़ैसला क्यूँ टला है.  

.

समझना है मुश्किल…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on July 11, 2014 at 2:30pm — 20 Comments

ग़ज़ल -निलेश "नूर" लोग कहते हैं मोजज़ा होगा,

२१२२/१२१२/२२ 

.

लोग कहते हैं मोजज़ा होगा,

देखना कोई हादसा होगा.

.

ख़ूब ईमानदार बनता है,

नौकरी पर नया नया होगा.    

.

जब कहा, सिर्फ़ सच कहा उसने,

वो कभी आईना रहा होगा.

.

जिसकी सुहबत सुकून देती थी,

कैसे मानें कि बेवफ़ा होगा. 

.

एक मुद्दत के बाद धड़का दिल,

ज़ख्म-ए-दिल आज फिर हरा होगा. 

.

टूटता दिल भी एक नेमत है,

शायरी का चलो भला होगा.

.

शक्ल पर कुछ नहीं लिखा उसने,

कौन कैसा है, कौन…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on July 9, 2014 at 8:00pm — 16 Comments

ग़ज़ल -निलेश "नूर"--कितना आसान है आसान का मुश्किल होना.

२१२२, ११ २२, ११२२, २२/ ११२ 

.

आप का, ग़म में हमारे कभी शामिल होना,

अपनी क़िस्मत में नहीं था ये भी हासिल होना.

.

ये सफ़र ज़ीस्त का था, साथ चली रुसवाई,

देखना बाक़ी रहा...राह का मंज़िल होना.

.

इक सफ़र चलता रहा उसके फ़ना होने तक,

एक हसरत थी लहर की, कभी साहिल होना.

.

जश्न में डूबे हुए दिल में ख़लिश थी हरदम,

रोज़ महसूस किया, याद का...महफ़िल होना.  

.

बोझ नाक़ाम सी हसरत का उठाकर देखो,

कितना आसान है आसान का मुश्किल…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on July 7, 2014 at 2:00pm — 21 Comments

ग़ज़ल -निलेश "नूर" - कभी वो मेहमां रही है मेरी

आ. तिलक राज कपूर सर के मार्गदर्शन से एक ग़ज़ल कहने का प्रयास किया है ..  उम्मीद है आप का स्नेह प्राप्त होगा

.

12122/ 12122/ 12122/ 12122 

हया के मारे वो वस्ल के पल, नज़र का पर्दा गिरा रही है,

मगर ये गालों की सुर्ख़ रंगत, हर एक ख्वाहिश बता…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on July 3, 2014 at 5:00pm — 19 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service