For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

TEJ VEER SINGH's Blog – June 2020 Archive (4)

पिता (लघुकथा)

रघुनाथ  ट्यूर से लौटा तो पिताजी  दिखाई नहीं दिये।  वे बरामदे में ही बैठे अखबार पढ़ते रहते थे। उनके कमरे  में  भी नहीं थे।रघुनाथ का नियम था कि वह कहीं  से आता था तो पिता के चरण स्पर्श  करता था।

"शीला, पिताजी नहीं दिख रहे। कहीं गये हैं क्या?"

"मुझे कौनसा बता कर जाते हैं? तुम हाथ मुंह धोलो। चाय पकोड़े लाती हूँ।" शीला के लहजे से रघुनाथ को कुछ शंका हुई।

इतने में उसका सात वर्षीय बेटा बिल्लू भी आगया।

"बिल्लू, बाबा तुम्हारे साथ गये थे क्या?"

"बाबा तो गाँव वापस चले…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on June 26, 2020 at 9:00am — 6 Comments

बाप (लघुकथा) -(पितृ दिवस के उपलक्ष में)

सुलेखा दौड़ती हांफ़ती घर में घुसी।

"क्या हुआ बिटिया? क्यों ऐसे हांफ़ रही हो?"

"कुछ नहीं पापा। एक कुत्ता पीछे लग गया था।"

"तो इसमें इतने परेशान होने की क्या बात है? तुम तो मेरी बहादुर बेटी हो।"

"पापा आप नहीं समझोगे।ये दो पैर वाले कुत्ते बहुत गंदी फ़ितरत वाले होते हैं।"

"दो पैर वाले कुत्ते? तुम ये क्या ऊल जलूल बोल रही हो।"

तभी सुलेखा का भाई सूरज हाथ में हॉकी लेकर बाहर की ओर लपका,"अरे बेटा सूरज इतनी रात को यह हॉकी लेकर.......?"

"पापा मैं उस कुत्ते को…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on June 22, 2020 at 8:00pm — 4 Comments

खंडित नसीब - लघुकथा -

खंडित नसीब - लघुकथा -

बिंदू का तीन साल का इकलौता बेटा नंदू सुबह से चॉकबार आइसक्रीम खाने की रट लगाये हुए था। पता नहीं किसको देख लिया था चॉकबार आइसक्रीम खाते। इंदू के पास पैसे नहीं थे इसलिये  वह बार बार उसे आइसक्रीम खाने के नुकसान समझा रही थी। लेकिन बिना बाप का बच्चा जिद्दी हो चला था। किसी भी तरह बहल नहीं रहा था।

इंदू को बाबू लोगों के घर झाड़ू पोंछा बर्तन का काम करने जाना था लेकिन नंदू  उसे जाने नहीं दे रहा था ।

इंदू कुछ समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे।फिर उसे याद आया कि…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on June 13, 2020 at 6:30pm — 4 Comments

अपराध बोध - लघुकथा -

अपराध बोध - लघुकथा -

"सपना, यह क्या कर करने जा रही थी?"

रश्मि ने सपना के कमरे का जो द्दृश्य देखा तो चकित हो गयी। सपना पंखे में फंदा डाल कर स्टूल पर चढ़ी हुई थी।रश्मि अगर चंद पल देर से पहुंचती तो अनर्थ हो जाता। रश्मि ने झपट कर सपना को सहारा देकर नीचे उतारा।सपना रोये जा रही थी।

"सपना मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि तुम जैसी शिक्षित, सुशील और शांत लड़की ऐसा अविवेक पूर्ण कदम भी उठा सकती है।"

रश्मि ने उसे पानी दिया और उसे गले लगा कर ढांढस बधाने की चेष्टा की।सपना के…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on June 5, 2020 at 12:29pm — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय शिज्जु शकूर जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर दोहे रचे हैं आपने. सच है यदि धूप न हो…"
2 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत दोहों की सराहना के लिए आपका हृदय…"
6 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार. आपकी…"
9 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  जी ! भाई लक्ष्मण धामी जी आप जो कह रहे हैं मन के मार्फ़त या दिल के मार्फ़त उस बात को मैं समझ…"
10 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुसार उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
36 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस सार्थक दोहावली के लिए| दोपहर और …"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  हार्दिक बधाई इस सार्थक दोहावली के लिए| तन-मन ये मन  से …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए हार्दिक आभार। अंतिम…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा छंद   ++++++ ग्रीष्म बाद ही मेघ से, रहती सबको आस| लगातार बरसात हो, मिटे धरा की…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी प्रस्तुति की प्रतीक्षा थी, शिज्जू भाई।  वैसे आज बाहर गया था। सबकी प्रस्तुतियों पर एक-एक…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"किसको लगता है भला, कुदरत का यह रूप। मगर छाँव का मोल क्या, जब ना होगी धूप।। ऊपर तपता सूर्य है, नीचे…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service