खंडित नसीब - लघुकथा -
बिंदू का तीन साल का इकलौता बेटा नंदू सुबह से चॉकबार आइसक्रीम खाने की रट लगाये हुए था। पता नहीं किसको देख लिया था चॉकबार आइसक्रीम खाते। इंदू के पास पैसे नहीं थे इसलिये वह बार बार उसे आइसक्रीम खाने के नुकसान समझा रही थी। लेकिन बिना बाप का बच्चा जिद्दी हो चला था। किसी भी तरह बहल नहीं रहा था।
इंदू को बाबू लोगों के घर झाड़ू पोंछा बर्तन का काम करने जाना था लेकिन नंदू उसे जाने नहीं दे रहा था ।
इंदू कुछ समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे।फिर उसे याद आया कि नंदू जब गोद में था तो वह उसे अफ़ीम चटा कर काम पर चली जाती थी।नंदू पांच छह घंटे सोता रहता था। इंदू ने ढूंढ कर अफ़ीम की पुड़िया निकाली और एक कप दूध में मिला दी।इस बार इंदू ने थोड़ी ज्यादा अफ़ीम ली थी क्योंकि अब नंदू बड़ा भी तो हो गया था।क्या पता असर करे या ना करे।
"ले नंदू अभी थोड़ा दूध पीले। मैं तेरे लिये आइसक्रीम लेकर आती हूँ।"
"मैं भी चलूंगा माई।" नंदू फिर मचल गया।
"नहीं बेटा मेरे पास पैसे नहीं हैं।किसी के घर से लूंगी।पता नहीं किससे मिलेंगे। तू परेशान हो जायेगा।"
"नहीं माई, मुझे कोई परेशानी नहीं होगी।"
"पर बेटा कुछ बाबू लोग को तेरा आना अच्छा नहीं लगता।"
"माई मैं बाहर ही तेरा इंतज़ार कर लूंगा।"
"तू इतना अच्छा बेटा होकर कैसी ज़िद की बात करता है।बाहर कितनी तेज धूप है।"
बार बार समझाने से नंदू मान गया और दूध पीकर घर पर ही रुक गया।
इंदू सब का काम खत्म करके, किसी से कुछ पैसों का इंतज़ाम कर एक चॉकबार आइसक्रीम खरीद कर जल्दी से घर पहुंची।नंदू चारौ खाने चित्त पड़ा था। इंदू उसे झकझोर रही थी क्योंकि आइसक्रीम पिघलती जा रही थी।
धीरे धीरे आइसक्रीम एक एक बूंद टपक रही थी। इंदू बेटे के सिरहाने बैठी बेटे के उठने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी।
आइसक्रीम की आखिरी बूंद भी जमीन पर टपक गयी। बिंदू के हाथ में अब केवल आइसक्रीम की लकड़ी बची थी। लेकिन नंदू अभी भी नहीं उठा।
मौलिक, अप्रकाशित एवम अप्रसारित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी।
आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । बेहतरीन लघुकथा हुई है । हार्दिक बधाई ।
हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी।आदाब।यह एक प्रतीकात्मक शैली की लघुकथा है। इसमे बिंदु सरकार का प्रतीक है और नंदू जनता का प्रतीक है। सरकार द्वारा सुविधायें देने का तरीका और उसका हश्र देखिये। इसका यही मर्म है।एक बार इस नज़रिये से देखिये।
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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