For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रघुनाथ  ट्यूर से लौटा तो पिताजी  दिखाई नहीं दिये।  वे बरामदे में ही बैठे अखबार पढ़ते रहते थे। उनके कमरे  में  भी नहीं थे।रघुनाथ का नियम था कि वह कहीं  से आता था तो पिता के चरण स्पर्श  करता था।

"शीला, पिताजी नहीं दिख रहे। कहीं गये हैं क्या?"

"मुझे कौनसा बता कर जाते हैं? तुम हाथ मुंह धोलो। चाय पकोड़े लाती हूँ।" शीला के लहजे से रघुनाथ को कुछ शंका हुई।

इतने में उसका सात वर्षीय बेटा बिल्लू भी आगया।

"बिल्लू, बाबा तुम्हारे साथ गये थे क्या?"

"बाबा तो गाँव वापस चले गये। बाबा उस दिन बहुत रो रहे थे।"

"तुमने कैसे जाना कि वे गाँव ही गये हैं?"

"वे रास्ते में मुझे मिले थे तो उनके हाथ में  लाठी और थैला था तथा कंधे पर कंबल पड़ा था।इसलिये मैंने पूछ लिया था।"

तभी शीला चाय और पकोड़े लेकर आगयी।आते ही उसने बिल्लू को निर्देश दिया कि तुम्हारी चाय और पकोड़े तुम्हारे कमरे में रखे हैं।बिल्लू चला गया ।

चाय पीकर रघुनाथ बिल्लू के कमरे में चला गया," हाँ तो बिल्लू बेटा, तुम क्या बता रहे थे बाबा के बारे में?"

"पापा, ये  माँ अच्छी नहीं है।"

"नहीं बिल्लू, ऐसा नहीं बोलते अपनी माँ के लिये।"

"वह तो खुद ही कहती हैं कि तू मेरा सौतेला बेटा है, असली नहीं।"

"चलो अच्छा यह बताओ बाबा गाँव क्यों चले गये?"

"पापा, माँ बाबा को बहुत सताती थीं। चाय मांगते थे तो डाँट देती थी।खाना भी समय पर नहीं देती थी। ठंडा खाना देती थीं जबकि बाबा को ठंडी रोटी  नहीं भाती थी।"

"यह तुम्हें बाबा ने बताया|"

"नहीं पापा, बाबा कुछ नहीं बताते थे।मैंने खुद देखा।एक दिन तो बाबा पूरे दिन भूखे रहे।"

"ऐसा क्यूं?"

"उस दिन बाबा ने बोला,"दाल में नमक तेज है" तो माँ उनकी थाली उठा ले गयीं और बोलीं कि, "आपको भूख नहीं है इसलिये नखरे कर रहे हो।"

"बाबा गाँव गये थे उस दिन भी कुछ हुआ था क्या?"

"हाँ बाबा के बिस्तर पर माँ ने पानी डाल दिया और उन्हें बुलाकर भला बुरा कहा कि आपको शर्म नहीं आती इस उम्र में भी बिस्तर गीला करते हो।"बाबा ने मना किया तो माँ बोलती हैं कि, झूठ भी बोलते हो।"

शीला दरवाजे पर खड़ी यह सब सुन रही थी,"देखो कितना झूठा है ये। इतनी सी उम्र में कैसे कहांनियाँ गढ़ लेता है?"

"नहीं शीला, मैं बिल्लू को तुमसे बेहतर जानता हूँ। मीरा ने उसे बहुत अच्छे संस्कार दिये हैं | तुम पिताजी के मित्र की बेटी हो और वे तुम्हारी बहुत तारीफ़ करते थे।इसलिये उन्हीं के दवाब में मैंने तुमसे दूसरी शादी की थी क्योंकि मेरा ट्यूरिंग जॉब था।लेकिन तुम हमारी अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरीं|"

"रघु ये तुम कैसी बातें कर रहे हो?"

"शीला मैं तुम्हें आखिरी मौका दे रहा हूँ।मैं पिताजी को लेने जा रहा हूँ।तुम अगर उनके साथ नहीं रहना चाहो तो अपना ठिकाना देखो, कोई नहीं रोकेगा।"

मौलिक,अप्रकाशित एवम अप्रसारित

Views: 468

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on July 14, 2020 at 11:05am

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 7, 2020 at 9:26am

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । अति उत्तम कथा हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 28, 2020 at 6:01pm

हार्दिक आभार आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  जी ।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 28, 2020 at 6:00pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी ।आदाब।

Comment by नाथ सोनांचली on June 28, 2020 at 3:26pm

आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। बहुत मार्मिक और यथार्थपूर्ण लघुकथा लिखी है आपने। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Samar kabeer on June 28, 2020 at 11:27am

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
33 minutes ago
Admin posted discussions
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
14 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
21 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service