For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घूंघट - लघुकथा –

घूंघट - लघुकथा –

"बहू, जुम्मे जुम्मे आठ दिन भी नहीं हुए शादी को और तुमने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिये"।

"माँ जी, यह आप क्या कह रहीं हैं? मैं कुछ समझी नहीं"?

"अरे वाह, चोरी और सीना जोरी"।

"माँ जी, आप मेरी माँ समान हैं। मुझसे कोई गलती हुयी है तो बेशक डाँटिये फटकारिये मगर मेरी गलती तो बताइये"।

"क्या तुम्हारी माँ ने तुम्हें अपने ससुर और जेठ का आदर सम्मान करना नहीं सिखाया"?

"माँ जी, मैं तो पिता जी और बड़े भैया का पूरा सम्मान करती हूँ"।

"तुम्हें क्या लगता है?  मेरी आँखें नहीं हैं या मैं झूठ बोल रही हूँ"।

"आप स्पष्ट कहिये ना कि हुआ क्या है"?

"सुबह तुम्हारे कालेज का चपरासी आया था तब तुम बैठक में बिना घूंघट निकाले गयी थीं जबकि वहाँ तुम्हारे ससुर और जेठ दोनों मौजूद थे"।

"माँ जी, मैं उस कालेज की प्रिंसीपल हूँ। कभी ना कभी लोग आते ही रहेंगे। उनके आगे घूंघट लेना संभव नहीं है। और वैसे भी घूंघट का सम्मान से कोई संबंध नहीं है"।

"अब तो तुम साफ बदतमीजी पर उतर आयीं"।

"माँ जी, हमारा परिवार एक शिक्षित परिवार है। मेरी तीन भाभियाँ हैं। कोई भी घूँघट नहीं लेती"।

"तुम्हारे घर में क्या होता है? मुझे उससे मतलब नहीं। यह मेरा घर है और यहाँ घूंघट अनिवार्य है"।

"माँ जी, फिर आपने पढ़ी लिखी और नौकरी पेशा बहू की माँग क्यों रखी थी"?

"बात को ज्यादा तूल देने की जरूरत नहीं है। जो कहा जाय उतना करो"।

"माँ जी मैंने घूँघट प्रथा पर ही पी एच डी की है। अपनी थीसिस में इसकी खामियों को उजागर किया है। अब मैं खुद ही घूँघट निकालूंगी तो मेरा मखौल नहीं बनेगा"।

"मुझे तुम्हारी इन दलीलों में कोई रुचि नहीं है"।

"ठीक है तो फिर आप फैसला कर लीजिये। मुझे तो कालेज वाले वैसे भी कालेज कैंपस में रहने को दबाव डाल रहे हैं"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 827

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on August 22, 2018 at 1:52pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी।

Comment by Nita Kasar on August 21, 2018 at 7:54pm

घूँघट शीर्षक आधारित कथा में आपने आज की पुरातन प्रथा पर प्रकाश डाला है ।आज भी अनेकों जगह इस प्रथा का पालन महिलायें करती है ।पर समय के हिसाब बदलाव आज की ज़रूरत है ।उम्दा कथा के लिये बधाई आद० तेजवीर सिंह जी ।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 20, 2018 at 10:29pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on August 20, 2018 at 3:40pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार।  घूँघट करने  की प्रथा को कुप्रथा कह कर मैं किसी की भावनाओं को आहत नहीं करुँगी लेकिन यही वास्तविकता है कि घूँघट कर लेने मात्र से किसी का सम्मान नहीं हो जाता अगर उस व्यक्ति के प्रति मन में आदर नहीं हो।  ये मेरे अपने विचार हैं।   ज्वलंत सामाजिक विषय पर बहुत ही बढ़िया लघुकथा।  प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें। 

Comment by TEJ VEER SINGH on August 19, 2018 at 1:33pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 19, 2018 at 1:32pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by Samar kabeer on August 18, 2018 at 2:37pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 18, 2018 at 12:53pm

अंतिम पंक्ति //मुझे तो कालेज वाले वैसे भी कालेज कैंपस में रहने को दबाव डाल रहे हैं"।// के बारे में या बदलाव के बारे में और रचना के राज़ खोलते शीर्षक के बारे में पुनर्विचार किया जा सकता है। कुछ शीर्षक सुझाव स्वाभ्यास हेतु :

1- घुंंघटा उठा 

2- घूंघट में पीएचडी

3- घुंघटा उठाता शोध

4- तूल, दलील और शोध

5- कसौटी पर शोध

आदि

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 18, 2018 at 12:46pm

हमारे समाज के सभी धर्मों की समकालिक बड़ी समस्याओं पर विचार मंथन करने को मज़बूर करती बहुत ही यथार्थपूर्ण, कटाक्षपूर्ण व.प्रवाहमय सामाजिक सरोकार की रचना। हार्दिक बधाइयां आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। इंदौर के गुरुुद्वारे के कक्ष से टिपप्णियां कर रहा हूं। यहां के लघुकथाकारों को सूचित किया, लेकिन रूबरू सम्पर्क के योग अब तक नहीं बने लघुकथा संबंधित मार्गदर्शन हासिल करने बावत।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service