For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sheikh Shahzad Usmani's Blog – May 2016 Archive (5)

सत्ता, धर्म और राजनीति (लघुकथा)

घर के मुख्य द्वार पर खाली प्लेट हाथ में लिए मालकिन को काम वाली बाई सन्नो ने आश्चर्य से देखते हुए पूछा:

"सब्ज़ी आज फिर सड़ गई थी क्या?"

"नहीं, पड़ोसी के घर से प्रसाद आया था, हम नहीं खाते उनके धर्म का प्रसाद, सो उस भूखे भिखारी को दे दिया"- मालकिन ने सन्नो से कहा।

सन्नो ने खिड़की से झांककर देखा कि वह भिखारी उसकी प्लेट में परोसा गया वह प्रसाद ज़ल्दी-ज़ल्दी खाने लगा था और कुछ निवाले पास खड़ी मरियल सी कुतिया के पास फेंकता जा रहा था।

"क्यों बाबा कौन से धर्म के हो तुम?" सन्नो ने…

Continue

Added by Sheikh Shahzad Usmani on May 31, 2016 at 6:00pm — 13 Comments

ग़रीबों की विरासत (लघुकथा) शेख़ शहज़ाद उस्मानी

नई सदी, विरासत और सत्ता के बीच कुछ मुद्दों पर बहस छिड़ गई थी। सत्ता विरासत से संतुष्ट और प्रसन्न थी, उसे विरासत में ही अपना भविष्य नज़र आ रहा था। नई सदी विरासत को बोझ समझ कर उसे समस्याओं का जनक मान रही थी। विरासत अपनी प्रासंगिकता और महत्व की पुष्टि कर रही थी।



"केवल विज्ञान की विरासत सदैव मेरे लिए सार्थक और लाभदायक रही है, बाक़ी सभी ने ढेर सारी समस्याएँ और दुविधायें हम पर थोपीं हैं। एक ही लकीर पीटते रहने से मौलिक नवीन सृजन बाधित हुआ है। लोग आलसी, निकम्मे पराधीन और आश्रित हो रहे हैं… Continue

Added by Sheikh Shahzad Usmani on May 24, 2016 at 2:30pm — 10 Comments

नालायकी (लघुकथा)

"अब मुँह लटकाये क्यों बैठी हो? पहले ही कहा था कि हवा में न उड़ो, न उड़वाओ बेटे को!"



"........."



"कुछ कह रहा हूँ, सुना कि नहीं? कितना समझाया था कि ज़्यादा लाड़-दुलार ठीक नहीं। फ़रमाईशें पूरी करके उसे बिगाड़ो नहीं! झूठी तारीफ़ें कर उसे हवा में उड़ना मत सिखाओ! मान का ताप ऐसे नहीं बढ़ाओ, पसीने छूट जाएंगे! मान झूठी शान से नहीं मिलता, अच्छे काम से मिलता है समझीं। फैशन परस्ती, आडम्बर से नहीं!"



पति देव चिल्लाये जा रहे थे, पत्नी सिर झुकाये सुनती जा रही… Continue

Added by Sheikh Shahzad Usmani on May 23, 2016 at 1:22pm — 2 Comments

नूरानी चेहरे ( लघुकथा) _शेख़ शहज़ाद उस्मानी

दंगों और भगदड़ से पीड़ित लोगों को मस्जिद में पनाह देने के बाद मौलवी साहब की आंखें यह देखकर फटी जा रहीं थीं कि औरतों ने स्वयं ही बच्चों की अलग पंक्ति बना दी थी और स्वयं पृथक पंक्तिबद्ध शांतिपूर्वक बैठ गईं थीं। पुरुष भी थोड़ा फासला रखकर पंक्तियों में ऐसे बैठ गए थे जैसे कि मानो नमाज़ अदा कर रहे हों। महिलाओं ने भी मुस्लिम औरतों की तरह पल्लू सिर व छाती पर लेकर वैसी ही मुद्रा बना ली थी। सभी अपने धार्मिक मंत्रोच्चारण कर रहे थे। पंडित जी यह सब देख कर मुस्करा रहे थे। उनको संतोष था कि अब सब ठीक है। मौलवी… Continue

Added by Sheikh Shahzad Usmani on May 21, 2016 at 9:50am — 13 Comments

आबोहवा (लघुकथा)

बस स्टैंड पर बस से उतरते ही सुखिया का चेहरा खिल उठा। पिताजी टैक्सी वाले से बात करने लगे, तो उसने टोकते हुए कहा- "नहीं बापू, हम पैदल ही चलेंगे, हम शहर घूमते हुए चलेंगे, सामान भी कोई ज़्यादा नहीं है न!"

" न बेटा, टैक्सी वाले ने बताया है कि मानस भवन तो बहुत दूर है! शहर बाद में घुमा देंगे!"-

पिताजी ने कहा।

फिर दोनों टैक्सी पर सवार हो गए। जैसे ही टैक्सी ने रफ़्तार पकड़ी, सुखिया पहले तो सपनों में खो गया, फिर गाड़ियों की आवाज़ों और होर्न के शोरगुल ने उसे बेचैन कर दिया। पिताजी ने उसे…

Continue

Added by Sheikh Shahzad Usmani on May 17, 2016 at 10:00pm — 16 Comments

Monthly Archives

2020

2019

2018

2017

2016

2015

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई सुशील जी, सुंदर दोहावली हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भूल सुधार - "टाट बिछाती तुलसी चौरा में दादी जी ""
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ.गिरिराज भंडारी जी, नमस्कार! आपने फ्लेशबैक टेक्नीक के  माध्यम से अपने बचपन में उतर कर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service