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May 2011 Blog Posts (84)

व्यंग्य - पदपूजा का आभामंडल

पदपूजा का आभामंडल हर किसी को भाता है। जिसे देखो, वह पद के पीछे, अपना पग हमेशा आगे रखना चाहता है। मैं तो यह मानता हूं कि जिनके पास कोई बड़ा पद नहीं है, समझो वह कुछ भी नहीं है। उसकी औकात उतनी है, जितनी सरकार की उंची कुर्सी में बैठे सत्तामद के मन में, जनता की है। पदपूजा की कहानी देखा जाए तो काफी पुरानी है। ऐसा लगता है, जैसे पद पूजा की परिपाटी कभी खत्म नहीं होने वाली है। पद का गुरूर भी बड़ा अजीब है, किसी को कोई बड़ा पद मिला नहीं कि वह सातवें आसमान में हवाईयां भरने लगता है। वह सोचता है, जैसे दुनिया… Continue

Added by rajkumar sahu on May 3, 2011 at 1:39am — No Comments

जो माया बंधन में भटका ,

जो माया बंधन में भटका ,
उनके वश में कुछ नहीं रहता ,
जो माया वश में रहते हैं ,
बिन बिचारे बात कहत हैं ,
जो अज्ञान रूपी मदिरा पिया ,
गए तुम भी जो वचन ध्यान दिया ,
सगुण अगुण में नहीं भेद है ,
ज्ञानी पंडित वेद कहे हैं ,
रवि गुरु जो कुछ भूल बोले ,
ध्यान न देना यही कहत हैं ,

Added by Rash Bihari Ravi on May 2, 2011 at 1:45pm — No Comments

खर्चा बचाऊंगा

खर्चा बचाऊंगा



श्री ओसामा बिन लादेन जी मारे गए

कल में जन्मदिन हरगिज़ न मनाऊंगा

इस कुकर्मीं की ही आड़ में ही

जन्मदिन की पार्टी का खर्चा बचाऊंगा

महंगाई के इस दौर में

मुझे अच्छा बहाना मिल गया

वह ख़ूनी,दरिंदा,पापी सही

पर मेरा काम तो कर गया

जीते जी तो यह मेरे काम न आया

मरकर भला कर गया मेरा

हज़ार दो हज़ार की बचत हो गई

पार कर गया बेहड़ा

सही वक़्त पे मरा बेचारा

अमेरिका खुशियाँ मनायेगा

पाकिस्तान का हाल अब

बकरे जैसी हो… Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on May 2, 2011 at 10:39am — No Comments

मुक्तिका: मौन क्यों हो? संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:
मौन क्यों हो?
संजीव 'सलिल'
*
मौन क्यों हो पूछती हैं कंठ से अब चुप्पियाँ.
ठोकरों पर स्वार्थ की, आहत हुई हैं गिप्पियाँ..
 
टँगा है आकाश, बैसाखी लिये आशाओं की.
थक गये हैं हाथ, ले-दे रोज खाली कुप्पियाँ..
 
शहीदों ने खून से निज इबारत मिटकर लिखी.
सितासत चिपका रही है जातिवादी चिप्पियाँ..
 
बादशाहों को किया बेबस गुलामों ने 'सलिल'
बेगमों…
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Added by sanjiv verma 'salil' on May 1, 2011 at 5:13pm — No Comments

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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
3 hours ago

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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
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Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
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"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
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