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लक्ष्मण रामानुज लडीवाला's Blog – April 2014 Archive (4)

दूर करे अभाव (कामरूप छंद) - लक्ष्मण लडीवाला

दूर करे अभाव (काम रूप छंद 9-7-10 पर यति)

निर्भय रहे सब, वोट देकर,  करे सही चुनाव |

सही चुनाव से,  देश में हो, दूर करे अभाव ||

अच्छे को चुने, करे न लोभ, हो तभी कुछ काम 

ऐसा क्यों चुने, चुनकर वही, वसूले सब दाम ||

 …

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 23, 2014 at 7:53pm — 13 Comments

कुंडलिया छंद-लक्ष्मण लडीवाला

माँ की छोटी कोख में, पूत रहा नौ माह,

माँ को आश्रम भेज कर, मिली पूत को राह |

मिली पूत को राह, नहीं माँ वहां अकेली |

घरको से थी दूर, बहुत पर मिली सहेली

कह लक्ष्मण कविराय, पूत करले चालाकी

उसका ही सम्मान, करे जो पूजा माँ की |

(२)

परछाई भी दिख रही, अपने बहुत करीब

हाथ बढ़ा कर छू सकूँ, ऐसा नहीं नसीब |

ऐसा नहीं नसीब, भ्रमित मन होता इतना

स्वप्न मात्र संयोग, मिले नसीब में जितना

कह लक्ष्मण कविराय, स्वप्न में फटी बिवाई

उसे…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 21, 2014 at 6:36pm — 8 Comments

कुण्डलियाँ छंद - लक्ष्मण लडीवाला

बेशर्मी को ओढ़कर कायर हुआ समाज

चीखे अबला द्रोपदीकौन बचाए लाज

कौन बचाए लाजखुले घूमे उन्मादी

अपराधी आजादमिली ऐसी…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 15, 2014 at 5:30pm — 6 Comments

कुछ चुनावी दोहे-लक्ष्मण लडीवाला

पहन मुखौटा घूमते, आया पास चुनाव,

खेती बो विश्वास की, तापे खूब अलाव । 

 

छलियाँ बनकर लूटने, करे प्रेम की बात,

सबकी बाते मानते,  दिन हो चाहे रात ।

 

मीठा मंतर मारते, मन में रखते खोट,

बंजर को उर्वर कहे, लेने इनको वोट । 

 

पाखण्डी कुछ आ गए, देख हमारे गाँव,

आकर लूटे  कारवाँ,  बोझिल से है पाँव ।

 

देख हवा के रूख को, झट पलटी खा जाय, 

अपने दल को छोड़कर, दूजे दल में जाय |

 

होड़ लगी है मंच पर, फिसला…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 8, 2014 at 9:43am — 12 Comments

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