कन्या दान के बाद से बिदाई तक लगातार रोती रही । रोते रोते सोफे पर बेसुध सी पडी़ रही।सभी बिदाई में व्यस्त जो थे।
दादा जी ने गोदी में उठाया,"उठ बिट्टो खाना खा ले, बुआ तो गई।"
तुनक कर गुस्से से बोली "नहीं कुछ नहीं खाउंगी आपने मेरी कल्लो बुआ और लाली बछिया दोनों को दान में दे दिया।बुआ को दूल्हा अपने साथ ले गया।"
"बुआ की शादी हुई है बिट्टो,बे तुम्हारे फूफा जी है।"
"कोई फूफा जी नहीं, मैं और बुआ दोनों रोते रहे फिर भी बुआ को साथ ले गए।"
"अगले हफ्ते ले आयेगे बुआ को।"
"अब…
Added by Pawan Jain on April 17, 2016 at 7:30am — 5 Comments
पर क्यों
पांच सौ रूपये महीने की बाई,
प्रतिस्थापित हो जाती है,
सहेली में,
सब सुख दुख,
सास की ज्यादतियां,
पति की बेवफाईयां,
बड़े प्रेम से सुनती है,
कमेंट्स भी देती है ,
मरहम भी रखती है,
चली जाती है दूसरे घर,
बेतार की सेवा प्रदान करने।
कभी कभी,
प्रतिस्थापित हो जाती है,
संशय के घेरे में,
शक के डेरे में,
सौत बन जाती है,
पर देहरी नहीं छुड़ाती,
अजीब सी कसमसाहट देती है,
रस भरी प्रेम पगी,
कथायें सुनाती है…
Added by Pawan Jain on April 11, 2016 at 10:05am — No Comments
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