For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पुन्न (पुण्य) लधु कथा

पुन्न (पुन्य)

आज बड़ी बुआ आ गई,थैला और पेटी के साथ ।
"ये लल्लू ,पइसा दे दे रिक्शा बाले को,मेरे पास फुटकर नहीं हैं ।"
रिक्शा के पैसे दे ,चरणस्पर्श का आशीर्वाद लेकर पेटी अम्मा के कमरे में रख दी ।बुआ ने पेटी पलंग के नीचे खिसका ,ताला हिला कर तसल्ली कर ली ।इस बार पेटी कुछ ज्यादा ही भारी है।पेटी पर लगा अलीगढ़ी ताला ,जिसकी चाबी उनके गले में पड़ी तीन तोले की चेन में लटकी रहती ।
क्या किस्मत है,इस लोहे की चाबी की ,चौदह वर्ष की उम्र से ब्लाउज के अंदर उनके साथ। बाल विधवा बुआ ने अपने ससुराल में रहकर ही, मिडिल स्कूल के प्रधानाचार्य तक की नौकरी की। जेठ और देवर की नजरों को ठुकरा कर,जमीन जायदाद में तीसरा हिस्सा लिया ।
"भौजी अब हांथ पांव नहीं चलते ,अब तो तुम्हारी चौखट से ही अर्थी उठेगी।"
"ऐसा क्यों कहती हो जीजी ,अभी अस्सी की ही
तो हुई हो ।"
"बसेसर अस्सी में ही तो गया था ,मैं क्या अमृत पी कर आई हूँ ।"
"भगवान तुम्हें लम्बी उमर दे जीजी।"
"ये लल्लू बुला सब को अब इस चाबी का वजन मुझ से नहीं उठता ।"और खोल दिया पिटारा ।
"ये लल्लू पकड़ जे एफ डी गुड़िया की शादी को,कहीं कोई कमी न राखियो ,जे पप्पू की पढ़ाई लिखाई को, सब तुम्हारे दस्तखत से ही बनी है।"
"अभी रखो अपने पास ।"
" नहीं, भौजी अब जा चेन तुम पहन लो तो मुझे चैन आ जाय और सम्हालो जा पेटी जिसको जो देने होए तुम जानो ।"
पत्नी से कहा "उठो बुआ को चाय बना लाऔ।"
"का चाय बना लाये ,एक लोंग तक तो निकरी नहीं हमारे लाने।"
अम्मा बोल पडी़,"फिकर न कर बहुरिया ,सब तुम्हारे लाने है,जा धरी पेटी और चाबी।"

"पहले कछू पुन्न तो कमा लो।"

पवन जैन,जबलपुर ।
(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 571

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Jain on March 24, 2016 at 9:57am

आभारी हूँ आदरणीय TEJ VEER SINGH jee आपको कथा पसंद आई ।

धन्यवाद आदरणीय नयना जी ,कथा की सराहना हेतु ।

Comment by नयना(आरती)कानिटकर on March 22, 2016 at 5:07pm
आ.जैन सर बहुत सुंदर रचना
Comment by TEJ VEER SINGH on March 22, 2016 at 11:39am

हार्दिक बधाई पवन जैन जी!बेहतरीन लघुकथा!

Comment by Pawan Jain on March 22, 2016 at 10:21am

धन्यवाद आदरणीय राहिला जी आपको कथा पसंद आई ।

Comment by Rahila on March 21, 2016 at 9:05pm
बहुत अच्छी प्रस्तुति आदरणीय सर जी! बहुत बधाई ।सादर नमन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
9 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीया, पूनम मेतिया, अशेष आभार  आपका ! // खँडहर देख लें// आपका अभिप्राय समझ नहीं पाया, मैं !"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अति सुंदर ग़ज़ल हुई है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service