For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बचपन से ही मेरी माँ ने मुझे फ्राक की जगह पेंट शर्ट पहनाया, मेरा राजा बेटा बड़ा बहादुर है,सुन सुन बड़ी हुई। पर आज क्यों मेरा नाम ले लेकर रो रही हैं।
"क्या इसी दिन के लिए पढाया लिखाया अपने पैरों पर खड़ा किया?"
"माँ यह क्या घिसा पिटा डायलॉग,मैं ऐसा क्या गलत कर रही हूँ? मैं नहीं प्रदर्शित कर सकती अपने आप को ट्रे लेकर चाय के कपों के समान।"
"तो कोई अपने मन का लड़का ढूंढ ले,तुझे इतनी आजादी तो दी है।"
"क्या लडका ढूंढ लूँ,सब लिजलिजे, ढुलमुल।एक फटकार में पेंट गीला कर दें।"
"तो अपने पापा जैसा ढूंढ ले,शेर दिल।"
"पापा जैसा शेर दिल जो तुम्हारे सामने हमेशा भीगी बिल्ली बने रहते हैं।"
"मुझे नहीं सुहाते ऐसे लडके ,मुझे तो पसंद है मेरे बचपन की सहेली, मैं उसी के साथ जीवन गुजारना चाहती हूं। उसी के साथ शादी करना चाहती हूँ। शादी तन की नहीं मन की जरूरत है।"

.

पवन जैन, जबलपुर।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 651

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Jain on January 13, 2016 at 9:50am

आदरणीय गिरिराज भंडारी सा0 हौसला अफजाई हेतु आभार।सभी वरिष्ठों से मार्ग दर्शन की आकांक्षा है।

Comment by Pawan Jain on January 13, 2016 at 9:45am

आदरणीय नीता जी आभार।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2016 at 3:55pm

एक दम नये विषय को कथा मे पिरोने के लिये आपको हार्दिक बधाई , आदरनीय पवन भाई ।

Comment by Nita Kasar on January 11, 2016 at 9:45pm
बेटे को पाने की आकांक्षा कुछ यूँ सिर चढ़ कर बोलती है कि माँयें बेटी को बेटे के रूप में कुछ इस से देखती है परिणाम स्पष्ट है कि शादी उन्है तन की नही मन की ज़रूरत नजर आती है ।नये विषय पर लिखी कथा के लिये बधाई आपको आद०पवन जैन जी ।
Comment by Pawan Jain on January 10, 2016 at 8:37am

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी बहुत बहुत धन्यवाद।

Comment by Pawan Jain on January 10, 2016 at 8:35am

आभार आदरणीय समर कबीर साहिब,हौसलाअफजाई को शुक्रिया।

Comment by Samar kabeer on January 9, 2016 at 5:51pm
जनाब पवन जैन साहिब आदाब,इस सुंदर लघुकथा के लिये बधाई स्वीकार करें,
Comment by Shyam Narain Verma on January 9, 2016 at 4:18pm
सुन्दर लघुकथा के लिये आपको बधाई ॥
Comment by Pawan Jain on January 9, 2016 at 3:33pm

आदरणीय,शहजाद जी सर जी का आदेश मेरा प्रयास।धन्यवाद आपकी समीक्षा हेतु।

Comment by Pawan Jain on January 9, 2016 at 3:29pm

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी। सादर अभिवादन स्वीकार करें। ग़ज़ल तक आने व प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार"
1 minute ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Sanjay जी, अच्छा प्रयास रहा, बधाई आपको।"
4 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Aazi ji, अच्छी ग़ज़ल रही, बधाई।  सुझाव भी ख़ूब। ग़ज़ल में निखार आएगा। "
9 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
22 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
24 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
28 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
34 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
36 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
40 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
41 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
49 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
50 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service