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अहसास क्रिसमस की छुट्टियों में आये पोता पोती ,दादी जी के लाड प्यार में पूरे घर में धमा चौकडी मचाये रखते हैं ।इस बार दादी को फेसबुक और इंटरनेट का पाठ याद करा दिया । आज न जाने क्या सूझी दादी को दोनों को लेकर रसोई में पहुंच गई ।सभी दालें दिखाई पर सिर्फ चना और राजमा पहचान पाये ,दादी ने सभी अनाजों की पहचान कराई ,नया पाठ था बच्चों को , जल्दी सीख गए । "बेटा सचिन कुकर उठाओ ,इसका ढक्कन लगाओ ।" "दादी यह तो लग ही नहीं रहा ।" "देखो बेटा यह गास्केट है ,यह सेफ्टी वाल्व है ,तुम्हें यह तो मालूम है कि कुकर किस काम में आता है ।" "हाँ दादी कुकर में भाप के प्रेशर से खाना जल्दी पकता है। " "ये गास्केट भाप को बाहर नहीं निकलने देता,बहुत ज्यादा हो जाय तो सेफ्टी वाल्व को पिघला कर निकल जाती है ।" "ठीक है ,अब ऐसे करो ,अब ढक्कन लगाना सीख गए ।" "हाँ दादी" "कुकर में भाप बनने के लिए दो ग्लास पानी डालो ,नीचे के डिब्बे में दाल रखो,उपर में चावल ,चावल के बराबर पानी होना चाहिये, हाँ अब गैस चालू करो ,धीमी आँच पर गर्म होने दो ,एक सीटी के बाद फ्लैम तेज करो और दो सीटी ले लो ।" "अच्छा दादी अब खोलो मैंने दाल ,चावल बनाया ।" "अभी नहीं बेटा इसे ठंडा होने दो ।" "दादी मुझे नहीं सिखाया ",पांच साल की पूजा बोल उठी । "तुम सब ध्यान से देख रही थी न ।" "हाँ दादी ।" "माँ जी ,क्या हो रहा आज किचिन में,इन शरारतियो के साथ।" " बहू आज सचिन को कुकर लगाना सिखाया ,लडकों को किचिन का काम आना चाहिए ,लड़कियाँ तो देखते देखते सीख जाती हैं ।" लडके तो सोचते हैं ,ये उनका काम ही नहीं है ।उन्हें लोहे की जाली तो तोडनी ही पडेगी । तभी तो अहसास होगा,हाथ जलने की पीडा का ।

मौलिक एवं अप्रकाशित।

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Comment by Pawan Jain on January 14, 2016 at 10:20pm

आदरणीय उस्मानी जी, RahiLa jee,Nita जी आभार कथा की समीक्षा प्रप्रशंसा हेतु।

Comment by Nita Kasar on December 29, 2015 at 1:26pm
अमूमन यही सिखाया जाता है बेटी को पर बेटे को भी सिखाना ज़रूरी है जिससे कि वह बीवी के दिल में जगह बना सके।उसे भी सिखाना आवश्यक है बेहद सारगर्भित व प्रेरक कथा के लिये बधाई आपको आद०पवन जैन जी ।
Comment by Rahila on December 27, 2015 at 9:18pm
पहली बार इस विषय पर एक सार्थक रचना पढ़ी, सच बहुत अच्छी अनुभूति हुई ।बहुत बधाई आपको सार्थक शिक्षा देती कृति के लिये । सादर
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 26, 2015 at 1:08am
वााााह आदरणीय पवन जैन जी । बड़ी सुखद अनुभूति हुई इस उम्दा उत्कृष्ट रचना को पढ़कर। हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको।

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