हाथों को मेरे तुम थाम लो
मेरा ही बस तुम नाम लो
कानों में अमृत रस घोलो
मैं सुनती रहूँ बस तुम बोलो|
केशों को मेरे तुम सहलाओ
बातों से मेरा जी बहलाओ
बादल तुम नेह के बरसाओ
नैनों में छिपा लूँ आ जाओ|
नज़रों से मुझे तुम पढ़ते रहो
नित स्वप्न सुरीले गढ़ते रहो
आगे ही आगे बढ़ते रहो
सोपान ह्रदय के चढ़ते रहो|
जीवन की मुझे तुम आस दो
नेह का अपने विश्वास दो
यौवन का मुझे मधुमास दो…
ContinueAdded by sarita panthi on March 29, 2016 at 6:52pm — 5 Comments
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