For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

sarita panthi
  • Kanchanpur
  • Nepal
Share on Facebook MySpace

Sarita panthi's Friends

  • maharshi tripathi
  • Hari Prakash Dubey
  • सूबे सिंह सुजान

sarita panthi's Groups

 

sarita panthi's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
kanchanpur nepal
Native Place
rishikesh
Profession
finance officer at raxol indo-nepal border
About me
simple and optimistic

Sarita panthi's Blog

एक ग़ज़ल

2122 2122 2122 212

प्यार करते हो हमें गर, साथ चलकर देखना।

जल रहे जिस आग में हम, तुम भी जलकर देखना।।



एक गठरी बांधकर, मैंने सवालों की रखी।

दिल में आ जाए कभी, दो एक हल कर देखना।।



रास्ता बाहर का दिखलायेंगे अपने, आपको।

है अगर साहस तो लहरों सा, मचलकर देखना।।



हूँ मैं सोना आग में जलना, ही मेरा काम है।

दर्द मेरा जान जाओगे, पिघलकर देखना।।



जागता है साथ मेरे, ये बिछौना रातभर।

चाहती हूँ एक दिन इसको, बदलकर देखना।।



सामने से… Continue

Posted on December 6, 2016 at 7:12pm — 3 Comments

एक गज़ल

122    122    122    122

बचा कर रखेगी दुआ हादसों से,

करो अबसे तौबा बुरी आदतों से|

कदम अब बढे है जमाने से आगे,

नहीं रोक सकते हमें पायलों से|

करार तमाचा जवाबी मिलेगा,

रहें अपने घर में कहो दुश्मनों से|

गरीबों को मारा खुले आसमाँ ने,

बरसती है आफत यहाँ बादलों से|

लो मुश्किल हुआ अब यहाँ सांस लेना,

हुए शेर मुजरिम गलत फैसलों से|

सजा बन रहे है मरासिम हमारे,

मिलेगी मुहब्बत…

Continue

Posted on September 22, 2016 at 8:00am — 4 Comments

गज़ल

श्रृंगार से ये तन तुम, यूँ और मत सजाओ,

छूते हुए लगे डर, फौलाद अब बनाओ।।



मेहंदी सुहाग चूड़ा, कमजोरी की निशानी,

हाथों में लो कलम तुम, तलवार सा चलाओ।।



मेहँदी भी है पिया की, चूड़ी भी है पिया की,

कुछ तो दिमाग खोलो, अपना भी कुछ बताओ।।



जीवन गया ये अपना, पानी के भाव बहकर,

अपना नहीं रुका पर, बेटी का तुम बचाओ।।



देते हो दूसरों को, उपदेश जिंदगी के,

कुछ तो करो शरम अब, खुद भी तो आजमाओ।।



छोडो मुहब्बतों को, जीना नहीं है आसां,

है… Continue

Posted on August 6, 2016 at 8:23am — 5 Comments

मोरे पिया

हाथों को मेरे तुम थाम लो

मेरा ही बस तुम नाम लो

कानों में अमृत रस घोलो

मैं सुनती रहूँ बस तुम बोलो|

 

केशों को मेरे तुम सहलाओ

बातों से मेरा जी बहलाओ

बादल तुम नेह के बरसाओ

नैनों में छिपा लूँ आ जाओ|

 

नज़रों से मुझे तुम पढ़ते रहो

नित स्वप्न सुरीले गढ़ते रहो

आगे ही आगे बढ़ते रहो

सोपान ह्रदय के चढ़ते रहो|

 

जीवन की मुझे तुम आस दो

नेह का अपने विश्वास दो

यौवन का मुझे मधुमास दो…

Continue

Posted on March 29, 2016 at 6:52pm — 5 Comments

Comment Wall (7 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 7:55pm on April 26, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आ. sarita panthi जी, आपको ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें 

At 5:58pm on November 26, 2014, sarita panthi said…

आ.laxman dhami जी, आ.लक्ष्मण रामानुज लडीवाला  जी , आ. shree suneel जी, आMeena Pathak  जी, आ.Hari Prakash Dubey जी, आ.Shyam Narain Verma जी एवं आ Dr Ashutosh Mishra. जी आप सभी ने अपना अमूल्य समय मेरी कविता को दिया और सराहा उसके लिए ह्रदय से आभारी हु . मुझे साहित्य को विधाओं का कुछ भी ज्ञान नही है जो दिल में आता है लिख देती हूँ आशा है आगे भी आप सभी मेरा मार्गदर्शन करते रहेंगे |

At 8:25pm on November 14, 2014, sarita panthi said…

आ.डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी मैंने  ठूँठ का दर्द बयान करने की कोशिश की है उसकी उपयोगिता नकारने की नही . नया नया लेखन है कमी कमजोरी हो सकती है आपके विचारों के लिए आभार 

At 4:22pm on November 12, 2014, sarita panthi said…

आ.khursheed khairadi जी, आ Shyam Narain Verma .जी, आ. rajesh kumari  जी, आ.Neeraj Kumar 'Neer' जी,आ. योगराज प्रभाकर जी , आ लक्ष्मण रामानुज लडीवाला आप सभी आदरणीय गुनीजनो की छत्रछाया में मुझे भी बहुत कुछ सिखने को मिलेगा . और आप सभी का मार्ग दर्शन मिलता रहेगा यही मेरी अभिलाषा है .

At 10:17am on November 8, 2014, sarita panthi said…

आदरणीय सभी गुनीजनो को ह्रदय से आभार प्रकट करती हु. आशा है मुझे कुछ समय देंगे यहाँ व्यवस्थित होने के लिए .

At 5:43pm on November 6, 2014, sarita panthi said…

आ. डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आपने मेरी रचना को आपका कीमती समय देकर जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए ह्रदय से आपका आभार .........

At 9:10am on November 6, 2014, sarita panthi said…

आ. जितेन्द्र पस्टारिया जी  एवं सभी गुनिजन मैं अभी अनाडी हु ये साईट चलाना भी नही जानती इसलिए आप सब से विनती है की मुझे दक्ष होने के लिए कुछ समय दीजियेगा और मुझे प्रोत्साहित करने हेतु आप सभी का ह्रदय से आभार ....................

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, आपकी इस इज़्ज़त अफ़ज़ाई के लिए आपका शुक्रगुज़ार रहूँगा। "
26 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ भाई आदाब, बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
53 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी ठीक है *इल्तिजा मस'अले को सुलझाना प्यार से ---जो चाहे हो रास्ता निकलने में देर कितनी लगती…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । ग़ज़ल तक आने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः । "गिर के फिर सँभलने…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ठीक है खुल के जीने का दिल में हौसला अगर हो तो  मौत   को   दहलने में …"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत अच्छी इस्लाह की है आपने आदरणीय। //लब-कुशाई का लब्बो-लुबाब यह है कि कम से कम ओ बी ओ पर कोई भी…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service