हुआ है आज क्या घर में हर इक सामान बिखरा है
उधर खुश्बू पड़ी है और इधर गुलदान बिखरा है /१
मुहब्बत क्या है ये जाना मगर जाना ये मरकर ही
लिपटकर वो कफ़न से किस तरह बेजान बिखरा है /२
यहीं मैं दफ्न हूँ आ और उठाकर देख ले मिट्टी
मेरी पहचान बिखरी है मेरा अरमान बिखरा है /३
मुझे रुस्वाइयों का गम नहीं गम है तो ये गम है
लबों पर बेजुबानों के तेरा एहसान बिखरा है /४ …
ContinueAdded by Saarthi Baidyanath on January 27, 2014 at 9:30pm — 28 Comments
जुल्फ़ के पेंचों में कमसिन शोख़ियों में
मुब्तला हूँ हुस्न की रानाइयों में/१
आसमां के चाँद की अब क्या जरूरत
चाँद रहता है नजर की खिड़कियों में/२
दिल पे भरी पड़ती है दोनों ही सूरत
हो कहीं वो दूर या नजदीकियों में/३
सोचता हूँ अब उसे माँ से मिला दूँ
छुप के बैठी है जो कब से चिठ्ठियों में/४
वो अदाएं दिलवराना क़ातिलाना…
ContinueAdded by Saarthi Baidyanath on January 4, 2014 at 9:00pm — 25 Comments
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