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ग़ज़ल- सारथी || तलाशी ले रहीं आँखें हमारी ||

तलाशी ले रहीं आँखें हमारी 

न आँखें रोक दें साँसें हमारी  /१

गुजर तो जाता है दिन जैसे तैसे 

मगर कटती नहीं रातें हमारी /२ 

न जाने लग रहा है बारहा क्यूँ 

उन्हें मालूम हैं बातें हमारी  /३  

जो कहना है सो कह दो कौन जाने 

दुबारा हों मुलाकातें हमारी  /४ 

अगर तुम जा रहे हो याद रखना 

कि पल पल तरसेंगी बाँहें हमारी  /५ 

...........................................
सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित

अरकान: १२२२ १२२२ १२२ 

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Comment

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Comment by Saarthi Baidyanath on December 18, 2015 at 4:27pm

आदरणीया rajesh kumari जी , सब आशीर्वाद है आपका ! ग़ज़ल की पसंदगी  के लिए सादर धन्यवाद , बहुत बहुत शुक्रिया ! :)


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Comment by rajesh kumari on December 18, 2015 at 9:46am

वाह बहुत सुन्दर एहसासों को पिरोये हुए ग़ज़ल ..बहुत- बहुत बधाई. 

Comment by Saarthi Baidyanath on December 16, 2015 at 3:37pm

आदरणीय  laxman dhami जी और आदरणीय Samar kabeer साहिब , हौसलाअफजाई का बेहद शुक्रिया ! नजरे-इनायत :)

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 16, 2015 at 11:17am

बहुत खूब जनाब

Comment by Samar kabeer on December 15, 2015 at 11:01pm
जनाब बैधनाथ सारथी जी,आदाब,वाह वाह,बहुत ख़ूब,मज़ा आ गया,ये ग़ज़ल भी आपकी बहुत ख़ूब है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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