ज़िक्र कुछ यार का किया जाये
ज़िन्दगी आ जरा जिया जाये /१
हो चुकी हो अगर सजा पूरी
दर्दे दिल को रिहा किया जाये /२
चाँद छूने के ही बराबर है
मखमली हाथ छू लिया जाये /३
ज़ख़्म ताजा बहुत जरुरी है
चल कहीं दिललगा लिया जाये /४
वक़्त ने मिन्नतें नहीं मानी
माँ को खुलके बता दिया जाये /५
हसरतें ईद की अधूरी हैं
ख़ामुशी से जता दिया जाये /६
चाँद से कल मेरी सगाई है
रकमें मेहर ज़मीं दिया जाये /७
गुफ़्तगू धड़कनों की जारी है
यार शम्मा बुझा दिया जाये /८
कब तलक ‘सारथी’ सुनाएगा
यार मुझको दफा किया जाये /९
.............................................
*सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित
बह्र : २१२२ १२१२ २२
Comment
आदरणीय Saurabh Pandey जी :
श्रीमान कृपा आपकी, आप के आशीष के पश्चात् दिल को शुकून मिल जाता है ... ! अनन्त आभार ह्रदय से ! :)
भाई सारथीजी, आज मौका मिल रहा है आपकी ग़ज़ल पर आने का. अब अपनी व्यस्तता पर कोफ़्त हो रही है.
ग़ज़ल को आपने वाकई ग़ज़ल की तरह निभाया है. वाह वाह वाह !!!ढेरों बधाइयाँ.
शुभ-शुभ
आदरणीय वीनस केसरी साहब : नाचीज का दिल से सलाम ! मान्यवर, ये ग़ज़ल , आप सदृश सभी पूज्यनीय गुरुजनों के श्री पाद-पंकजों में समर्पित करता हूँ ! इशारों को इशारों में समझने के लिए विशेष अभिवादन ! त्रुटियों से अवगत जरुर कराईयेगा .. आप सबका स्नेह हमारा संबल है! चंद अशआरों को नवाजने के लिए असंख्य धन्यवाद ज्ञापित कर रहा हूँ ! सादर चरण स्पर्श ...कोटिशः आभार सहित :)
सारथी साहब आपने तो लुत्फ़ ला दिया ... कमाल की ग़ज़ल हुई है ,,,,,ये तीन शेर बेहद पसंद आए
हो चुकी हो अगर सजा पूरी
दर्दे दिल को रिहा किया जाये | .......... शानदार
चाँद ने रात को बुलाया है
चांदनी का मजा लिया जाये | ....... क्या कहने भाई बहुत खूब
हसरतें ईद की अधूरी हैं
ख़ामुशी से जता दिया जाये |,,,,,,,,,,,,,, जिंदाबाद
जब हम इशारों में बात कहने का हुनर जान लेते हैं तो समझ लीजिए ग़ज़ल कहने का हुनर पा गए
आपने इस हुनर को खूब समझ लिया है ,,,,, ये तीन शेर इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं
आपके इस हुनर को सलाम करता हूँ ...
आप बहुत आगे जायेंगे भाई ...
बस ऐसे ही खुद को मांजते रहिये ,, सरल रहिये
आदरणीय श्री Sushil.Joshi जी :
साहब ...शुक्रिया ,नवाजिश- मेहरबानी ! बहुत बहुत धन्यवाद ज्ञापित कर रहा हूँ ...इस व्यक्तिगत स्नेह के लिए ! कुछ मिसरों में आपको उपमा अच्छी लगी ... ! मैं तो समझता हूँ रचना सफल हो गयी ...बहुत बहुत उपकार आपका आदरणीय ! सादर नमन सहित :)
श्रीमती annapurna bajpai मैडम:
आपका आशीर्वाद मिलता है ..ह्रदय आनंदित हो उठता है !..चरण-स्पर्श आपको ! अनेक अभिनन्दन एवं आभार सहित :)
आदरणीय श्री अरुन शर्मा 'अनन्त' जी :
सर्वप्रथम, आपको नमन करता हूँ कि आपने सराहा इस नाचीज की ग़ज़ल को ! बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद स्वीकार करें ! दूसरी बात, अरुन साहिब कि अगर आप च्यवनप्राश (बैद्यनाथ) के साथ मेरा नाम जोड़े तो निश्चित ही याद रहेगी (ही ही ही ...हमें ज्ञात है टंकण/भूलवश आपने बद्रीनाथ लिखा है...ये तो बड़प्पन है आपका )
आपका अनवरत स्नेह मिलता रहेगा ...प्रार्थना है !....पुनश्च आभार ह्रदय से !...:)
चाँद छूने के ही बराबर है
मखमली हाथ छू लिया जाये |..... वाह क्या उपमा दी है....
कब तलक ‘सारथी’ सुनाएगा
यार मुझको दफा किया जाये |..... अरे नहीं आदरणीय सारथी जी... हम तो आपको हर समय सुनना चाहेंगे..... इस उम्दा गज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई....
आ0 बैद्य नाथ जी बहूत बढ़िया गजल हुई है आपको बहुत बधाई खूबसूरत गज़ल के लिए ।
आदरणीय बद्रीनाथ जी एक बेहतरीन ग़ज़ल हरेक शेर कामयाब हुए हैं ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं.
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