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पुराने ज़माने की बात है ।
दो पङोसी देशों मे आपस सहयोग बढने लगा था । कहते हैं कि जब सहयोग बढता है तो परस्पर विश्वास जनम लेता है और विश्वास से प्रेम । प्रेम से मेल जोल बढता है और मेलजोल से खुशहाली आती है । लेकिन खुशहाल प्रजा भलीभांति शासित नही होती । क्योंकि खुशहाल व्यक्ति सम्पन्न होता है और समपन्न ही शक्तिशाली । फिर शक्तिशाली तो शासन ही करता है , उसे शासित नही किया जा सकता । गडरिया तो भेड़ों के झुंड को ही चराता है , कभी शेरों के झुंड को चराते किसी को देखा गया है क्या ?…
Posted on March 20, 2018 at 1:00pm — 5 Comments
एक राजा के राज्य मे जब प्रजा का असंतोष चरम पर पहुंच गया और साम्राज्य की रक्षा करना असंभव लगने लगा तो वह जंगल मे महात्मा की शरण मे जा पहुंचा ।
"महात्मा ! विकट परिस्थिति है । उपाय बताएं ।" राजा ने हाथ जोङकर महात्मा से विनती की ।
"उपाय तो आसान है राजन ।" महात्मा ने कहा "तेरे राज्य की कौनसी सीमा सबसे ज्यादा अशांत है ?"
"कोई नही ! मेरे तो सभी पङोसी राजाओं से मधुर संबंध है । इससे बाहरी आक्रमण से देश सुरक्षित रहता है ।" राजा ने उत्तर दिया ।
…
Posted on March 20, 2018 at 1:00pm — 8 Comments
ट्राफ़िक पुलिस को देख उसे आईडिया आया । उसने झट अपनी बाईक किनारे लगाई, हेलमेट सिर से उतारकर बाईक के पीछे लटकाया । उस नोट बंदी के मारे ने, धड़धड़ाते हुये बाईक लेजाकर इन्स्पेक्टर के सामने रोकी ।
“सर, मेरा चालान काटिये मै हेल्मेट नही पहना हूं ।“ वह बोला ।
इन्स्पेक्टर ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा । पूछा – “दो सौ रुपये छुट्टे है ?”
उसने इन्कार मे सर हिलाया ।
“ठीक है, जब छुट्टे होंगे तब आना ।“ इन्स्पेक्टर ने कहा ।
“सर, आज ही …”
“ऐसा है बेटा । अपना हेल्मेट सिर पे…
ContinuePosted on November 21, 2016 at 1:09am — 4 Comments
बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाती ।
आखिर वे लोग आ पहुंचे तो बकरे की अम्मा रोने लगी “देखिये आराम से … ज़्यादा तकलीफ़ तो नहीं होगी न … बड़े प्यार से पाला है …”
“आप चिंता न करें हमारे कसाई हाई स्किल्ड हैं …” वे बोले ।
“फ़िर भी …” वह विनती करने लगी ।
“देखिये ! हम किसी पर अत्याचार नहीं करते । हमारी व्यवस्था भी लोकतांत्रिक है । हम हर एक बकरे को वोट का अधिकार देते हैं । हमारे बकरे अपना कसाई खुद चुनते हैं …”
(मौलिक व अप्रकाशित)
Posted on November 19, 2016 at 9:06am — 7 Comments
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