जवान बेटा मरा था उसका I मातम फैला हुआ था परिवार में, परिवार के हरेक सदस्य में, सदस्यों के दिलों में I लेकिन, श्राद्धकर्म तो करना ही पड़ेगा, गाँववासियों को भोज तो खिलाना ही पड़ेगाI
आज उसी का भोज है I लोगों के घरों में चूल्हे नहीं जले हैं I भोज है, जबकि एक घर शोकाग्नि में तप रहा हैं और इसी तपन पर ऊफन रहा है - चावल, दाल, सब्जी ...
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Posted on October 1, 2014 at 12:30pm — 5 Comments
वह कथा कहूँ जो नहीं कही
अम्बर में कलानिधि घूम रहा
एक निर्झरिणी थी झूम रही
लहरी थी तट को चूम रही…
ContinuePosted on March 3, 2014 at 8:30pm — 7 Comments
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