For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Amit Kumar "Amit"
  • Male
  • ujhani
  • India
Share on Facebook MySpace

Amit Kumar "Amit"'s Friends

  • kamal pahuja
  • Vivek Jha
  • Nilesh Shevgaonkar
  • मोहन बेगोवाल
  • Dr.Prachi Singh
  • Ashok Kumar Raktale
  • राज़ नवादवी
  • Tilak Raj Kapoor
  • Saurabh Pandey
  • Rana Pratap Singh
  • Er. Ganesh Jee "Bagi"
 

Amit Kumar "Amit"'s Page

Latest Activity

Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय सर बहुत-बहुत शुक्रिया। आभार "
Feb 25, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी गजल का अच्छा प्रयास हुआ बाकी गुरुजनों की राय संज्ञान में लें"
Feb 25, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय अमीरउद्दीन जी बेहतरीन ग़ज़ल कहीं शेर दर शेर दाद कबूल करें"
Feb 25, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय रचना भाटिया अच्छी गजल कहीं बाकी गुणीजन की बातों पर ध्यान दें"
Feb 25, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय, एक और कोशिश कृपया मार्गदर्शन करें। चंद तिनकों से बनाकर, एक अदना आशियां,ख़ुशनुमा इतना हुआ मैं बदगुमाँ बनता गया।।२।। यूं छुपाना दर्दे ग़म आसां नहीं महबूब से,आंख से ढलका तो गालों पर निशाँ बनता गया।।४।।"
Feb 25, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय मैं पुनः प्रयास करता हूं। आभार। "
Feb 25, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय एक और प्रयास किया है कृपया मार्गदर्शन करें। कोशिश:बस बनाकर साथ तेरे, ऐक अदना आशियां'खुशनुमां इतना हुआ मैं बदगुमाँ बनता गया।।२।। एक आंसू तक छुपा पाये नहीं उनसे कभी,आंख से ढलका तो गालों पर निशाँ बनता गया।।४।। आभार "
Feb 25, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय नादिर खान भाई जी ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।"
Feb 25, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद"
Feb 25, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय नादिर खान भाई जी ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।"
Feb 25, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीया* रिचा जी*"
Feb 25, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय zaif ji ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद"
Feb 25, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय समर कबीर साहब चरण स्पर्श।  आपके सुझाव और यूूफोनिक अमित जी के सुझाव के अनुसार कुछ सुधार का प्रयास किया है। देखिएगा.... फ़ासला हम दोनों के जब दरमियाँ बनता गयाइश्क़ मेरा दर्द की इक दास्ताँ बनता गया।।१।। इक बनाकर साथ तेरे, सिर्फ अदना…"
Feb 25, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय रवि शुक्ला जी गजल पर प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद । गिरह के शेर को लिखने का मैंने पुनः प्रयास किया है कृपया देखिएगा। बस मुहब्बत का सलीका सीखने के वास्ते,लोग साथ आते गये और कारवाँ बनता गया।।७।। कहकशां स्त्रीलिंग शब्द…"
Feb 24, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय रिचा ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद"
Feb 24, 2023
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी हौसला अफजाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद"
Feb 24, 2023

Profile Information

Gender
Male
City State
Ujhani ,UP
Native Place
Ujhani
Profession
DM QA
About me
Amit

Amit Kumar "Amit"'s Blog

गीत - मैं तुमको अपनी सबसे प्यारी गजल समझता हूं।

तुम मुझको चाहे जो भी समझो लेकिन सुनो प्रिय।

मैं तुमको अपनी सबसे प्यारी गजल समझता हूं।।



तुम अमृत जैसी दुर्लभ हो, तुम गंगाजल सी पावन हो।

तुम खुशबू से लबरेज पवन, तुम बहका-बहका सावन हो।

तुम कलियों में कचनार प्रिय, तुम नील गगन में चंदा हो।

उर्वशी-मेनका से सुंदर, जो जग पूजे वो वृंदा हो।



उस जीवन दाता रब का मुझ पर फजल समझता हूं।

मैं तुमको अपनी सबसे प्यारी गजल समझता हूं।।१।।



सांसो की मधुमय हाला से मदहोश सदा हो जाता हूं।

इन नैनो की मधुशाला… Continue

Posted on July 19, 2019 at 6:09pm — 3 Comments

गज़ल - गमों का नाम हो जाये हमारे नाम से साकी।

पिला दे घूंट दो मुझको, ज़रा नजरों से ऐ साकी।।

मिलुंगा मैं तुझे हर मोड़ पे पहचान ले साकी।।१।।

अभी तो दिन भी बाकी है ये सूरज ही नहीं डूबा।

इसे दिलबर के आंचल में जरा छुप जान दे साकी।।२।।

जिसे पूजा किये हरदम जिसे समझा खुदा मैंने।

किया बर्बाद मुझको तो उसी इन्सान ने साकी।।३।।

मेरा महबूब भी तू है मेरा हमराज भी तू है।

वे दुश्मन थे मेरे पक्के जो मेरे साथ थे साकी।।४।।

नहीं इससे बड़ी कोई भी अब अपनी तमन्ना है।

गमों का नाम हो जाये हमारे नाम से…

Continue

Posted on January 6, 2019 at 10:30pm — 10 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 6:50am on July 2, 2018, राज़ नवादवी said…

आदरणीय Amit Kumar साहब, तरही मुशायरे में मेरी ग़ज़ल में शिरकत का दिल से शुक्रिया. समयाभाव था, कमेंट बॉक्स बंद हो चुका है. इसलिए यहाँ से आभार प्रकट कर रहूँ हूँ.सादर

At 5:01pm on September 29, 2014, Vivek Jha said…

थैंक्स अमित जी, उस दिन आपसे मिलकर काफी अच्छा लगा 

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service