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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार 91 वां आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

17 नवम्बर 2018 दिन शनिवार से 18 नवम्बर 2018 दिन रविवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

हरिगीतिका छंद और शक्ति छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

हरिगीतिका छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

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आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  17 नवम्बर 2018 दिन शनिवार से 18  नवम्बर 2018 दिन रविवार तक यानी दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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विशेष :

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
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Replies to This Discussion

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी उत्साह वर्धन के लिए दिल से आभार

आदरणीय भाई छोटेलालजी

चित्र के अनुरूप चारों पद लयात्मक सुंदर और सटीक है , हृदय से बधाई

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी उत्साह वर्धन के लिए दिल से आभार

आदरणीय छोटेलाल जी, आपने एक अत्यंत सहज भाव से चित्र को शाब्दिक किया है. आपकी रचना का शिल्प सुगढ़ है. कथ्य भी अत्यंत समीचीन है.  आपके प्रयास पर हार्दिक साधुवाद. 

शुभ-शुभ

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपके उत्साह वर्धन से हम आह्लादित हैं ,हमारी लेखनी सफल हुई ,आपका दिल से आभार

वाह्ह्ह्ह आद० छोटेलाल जी बहुत बढ़िया शक्ति छंद हुआ चित्र को सार्थक कर दिया .दिल से बहुत बहुत बधाई लीजिये 

आदरणीया राजेश कुमारी जी स्नेहिल उत्साह वर्धन के लिए दिल से आभार

जनाब डॉ. छोटेलाल सिंह जी आदाब,प्रदत चित्र को सार्थक करते अच्छे शक्तिछंद लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

परमादरणीय समर साहब जी सादर अभिवादन ,आपके उत्साह वर्धन सेलेखनी सार्थक हुई ,आत्मबल बढ़ गया ,आपका दिल से आभार

शक्ति छंद(गीत)

पहलवान की हेकड़ी सब झड़ी

जिले का पहलवान 

है ये बड़ा

सभी सेर पर है

सवा ये पड़ा

फड़कती भुजाएँ

जबर्दस्त हैं

मगर आज पुर्जे

सभी पस्त हैं

सरे आम भारी

कुड़ी है पड़ी

पहलवान की हेकड़ी सब झड़ी

न देवी न दासी

न कमसिन कली

बनाने अलग नाम

अब ये चली

न रोके रुकेगी

बहुत रुक चुकी

स्वयं को भुला कर

बहुत झुक चुकी

न अब हाँक सकता

चला के छड़ी

पहलवान की हेकड़ी सब झड़ी

मौलिक व अप्रकाशित

आदरणीया प्रतिभा पांडे जी आदाब,

                            बहुत ही प्यारा गीत । चित्रानुकूल गीत । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी  रचना आपको प्रभावित कर सकी  लेखन सफल हुआ।   

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" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
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