For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार अस्सीवाँ आयोजन है.

  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

15 दिसंबर 2017 दिन शुक्रवार से 16 दिसंबर 2017 दिन शनिवार तक


इस बार पुनः छंदों की पुनरावृति हो रही है - 

सरसी छंद और कामरूप छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.

[प्रस्तुत चित्र अंतर्जाल से]   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

कामरूप छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक...

 

सरसी छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 15 दिसंबर 2017 दिन शुक्रवार से 16 दिसंबर 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 7256

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के अंक - 80 में आप सुधीजनों का हार्दिक स्वागत है..

आदरणीय सौरभ भाईजी, छंदोत्सव - 80 के लिए शुभकामनाओं के साथ आपका भी हार्दिक स्वागत है।

आपका भी हार्दिक स्वागत है आदरणीय सौरभ पांडे जी । सादर ।

आद0 सौरभ पांडेय जी सादर अभिवादन। चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के अंक -80 में आपका भी हार्दिक स्वागत अभिनन्दन। 

आपका भी हार्दिक स्वागत है ।

प्रथम प्रस्तुति ...

...................................

 

सरसी छंद ...

 

घर है कच्चा छोटा बच्चा, समझ रहा हर बात।

लोटे में पानी भर लाया, जैसे हुआ प्रभात।।
दाँत साफ कर मुख भी धोना, हर दिन का यह काम।

नाश्ता पहले बाद पढ़ाई, तनिक नहीं आराम।।  

 

सीमा पर है बड़ी समस्या, डर लगता दिन रात।

गोली मारें बम भी फेकें, लोग लगाकर घात।।

माँ कहती बाहर मत जाना, दुनिया बड़ी खराब।

खेलूँ किसके साथ न कोई, टूटे सारे ख्वाब।।

 

इंतजार की  घड़ियाँ लम्बी, बालक है बेचैन।

पापाजी लाए न खिलौना, बीत गई है रैन।।

बड़े सबेरे द्वार खोलकर, ताक रहा वह राह।

कुछ ना लायें घर आ जायें, एक यही बस चाह।।

 

 

कामरूप छंद ...

 

पापा कहाँ है, माँ यहाँ है, क्या हुआ कल रात।

आए न अब तक, राह कब तक, तकूँ अब है प्रात।।

मासूम बालक, खोल फाटक, ढूंढता है तात।

आशा निराशा, मौन भाषा, नैन करते बात।।

.....................

मौलिक एवं अप्रकाशित

सरसी छंद
अपनी उँगली चूस रहा है , लगी है दिल पर चोट ।
हल्के-फुल्के कपड़े पहने , नहीं हृदय में खोट ।।
है दीवार दरारों वाली , कच्चा एक मकान ।
सपने देखे ऊँचे-ऊँचे , भोली भाली जान ।।

सुंदर सपनों वाला बचपन , चिंताओं से दूर ।
अल्हड़ , निश्छल और हठीला , मस्ती से भरपूर ।।
ग़ुरबत में पलता है बचपन , सुख से कोसों दूर ।
कैसे देंगे इसको ख़ुशियाँ , मात-पिता मज़बूर ।।

कितना भोला भाला देखो , बालक ये मासूम ।
बाट निहारे दर पर अपने , ख़ुशियों से महरूम ।।
लकड़ी का दरवाज़ा घर का , फीका घर का रंग ।
फिर भी कभी-कभी छत नीचे , होती है हुड़दंग ।।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

आदरणीय सुरेन्द्र भाई आपने टिप्पणी गलत थ्रेड में पोस्ट कर दी

आद0 अखिलेश भाई जी, जब सुबह मैं आपकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दिया तो उस समय मेरी प्रतिक्रिया आपके रचना के ठीक नीचे थी, अब ऐसा क्या हुआ, कोई तकनीकी त्रुटि या मेरा भ्रम। ईस्वर जाने। खैर इस त्रुटि के लिए मंच से माफी मांगता हूं।

आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सरसी छःन्द का बेहतरीन प्रयास। प्रथम सरसी में शिल्प सही नहीं निभ पाया है।

 प्रथम सरसी का सम चरण देखिए

लगी है दिल पर चोट (कुल 12 मात्रा, पर होनी 11 चाहिए न?)

मैं भी सीख रहा हूँ, आपके साथ। आपको मेरी कोटिश बधाइयां इस प्रस्तुति पर। सादर

आदरणीय अखिलेश जी आदाब,

                              सरसी छंद का यह मेरा प्रथम प्रयास है । छंदों की सराहना और समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए हार्दिक बधाई ।टंकण त्रुटि के कारण "लागी दिल पर चोट" नहीं हो पाया । संकलन में सुधार करवा लूँगा । सादर ।

जनाब अझिलेश कृष्ण श्रीवस्त्व जी आदाब,प्रदत्त चित्र को सार्थक करती बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई,बधाई स्वीकार करें ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service