आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार छप्पनवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ – 18 दिसम्बर 2015 दिन शुक्रवार से 19 दिसम्बर 2015 दिन शनिवार तक
इस बार गत अंक में से दो छन्द रखे गये हैं - दोहा छन्द और सार छन्द.
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.
इन दोनों छन्दों में से किसी एक या दोनों छन्दों में प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द रचना करनी है.
इन छन्दों में से किसी उपयुक्त छन्द पर आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
[प्रयुक्त चित्र मेरे अलबम से]
दोहा छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
सार छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने केलिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 18 दिसम्बर 2015 से 19 दिसम्बर 2015 यानि दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने आदरणीय टी आर सुकुल जी को सुझाव तो दिया. लेकिन वह कितना तथ्यात्मक है इसे भी जानना आवश्यक होना चाहिये न ? युक्ति और मुक्ति जैसे शब्द तुकान्तता के हिसाब से सही हैं. लेकिन क्या सार छन्द की पंक्तियों के ये शब्द पदान्त बन सकते हैं ? नहीं ! आखिर क्यों ? इस पर आप भी सोचिये न !
सादर
आदरणीय सौरभ भाईजी,
नीम हकीमी खतरनाक है। आप ठीक कह रहे हैं छंदोत्सव में ही होली पर सार छंद `में एक प्रयास के पश्चात इस पर ध्यान नहीं दिया। यही कारण है चरणांत 22, 211, 112 जैसे मूलभूत नियम भी भूल गया। धन्यवाद भाईजी अब इस छंद पर पुनः प्रयास करूंगा । वैसे इसमें जादा पेंच भी नहीं है ,दोहे की तरह।
सादर
मेरे मंतव्य को मान देने केलिए हृदयतल से आभार, आदरणीय अखिलेश भाईजी. दोष सम्बन्धी आपने मेरे इंगित को सही पकड़ा है.
सार छन्द एक बहुत ही सरल छन्द है. दोहे से इसकी तुलना उचित नहीं, बल्कि चौपाई से इसकी तुलना उचित होगी.
सादर
आ० कांता जी , मुक्ति ,युक्ति सम मात्रिक या सम तुकांत हैं ये सही है किन्तु सार छंद में पद के अंत में दो गुरु की अनिवार्यता के कारण ये २१ मात्रा के कारण नहीं आ सकते आ० सौरभ जी के कहने का यही तात्पर्य था शायद मैं स्पष्ट कर पाई |
आपने स्पष्ट भाव में बहुत ही सुन्दर से समझाया है। अब जाकर कुछ बातें समझ में आ रही है। हृदयतल से आभार आपको इस दुविधाओं के धुंध को छांटने के लिए। __/\__/\__/\__
हार्दिक धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारीजी.
सादर
प्रदत्त चित्र पर सुन्दर प्रस्तुति ,
आदरणीय शुक्ल जी ,कर्म कांड पर अच्छा व्यंग किया है ।चित्र के
चित्रण के साथ भावजड़ता को उजागर किया है, बधाई ।
बहुत धन्यवाद आदरणीय जैन साहब।
आदरणीय पवन जैन साहब, आयोजन में आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. लेकिन, आदरणीय, हर Reply को क्लिक कर कोई टिप्पणी नहीं की जाती. किसी रचना (प्रस्तुति) की टिप्पणी उसी रचना के नीचे बने Reply को क्लिक करने से उस रचना पर की गयी टिप्पणी होगी. जबकि किसी टिप्पणी के नीचे बने Reply को क्लिक करने से उस टिप्पणी पर कहा गया माना जायेगा.
सादर
बहुत धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी। छंद पर अपनी पैनी दृष्टि से मूल्यांकन करने के लिए विनम्र आभार
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