For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ बत्तीसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार का छंद है - सार छंद/ छन्नपकइया 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

23 अप्रेल 2022 दिन शनिवार से 

24 अप्रेल 2022 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

चित्र अंर्तजाल के माध्यम से 

सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो

23अप्रेल 2022 दिन शनिवार से 24 अप्रेल 2022 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 2465

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

प्रयास की सराहना के लिये हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी। विज्ञानी की मात्रा गणना में मुझसे त्रुटी हो गई। आपके मार्गदर्शन के लिये सादर आभार।

आदरणीया प्रतिभाजी

छंद आधारित यह गीत सचमुच प्रशंसा योग्य है, ह्रदय से बधाई|

विज्ञानी की  मात्रा छै है 

हार्दिक आभार आदरणीय अखिलेश जी उत्साहवर्धन सराहना और मार्गदर्शन के लिये।

क्या बात है, क्या बात है ! 

आदरणीया प्रतिभाजी, आपका रचना-कर्म प्रभावी ही नहीं, प्रेरक भी है. आपने प्रदत्त चित्र के सौजन्य से भारतीय कृषक-नारियों और श्रमजीवियों की दशा का सार्थक बखान कर दिया है. यह गीत अपनी प्रच्छन्न इकाई रखता है. 

देख तली भर पानी मटकी, हुई शर्म से पानी .. इस पंक्ति के विन्यास पर मुझे एक पुराने अति प्रसिद्ध गीत का स्मरण हो आया.  जल जो न होता तो ये जग जाता जल.. 

बहुत ही सुन्दर प्रयोग किया है आपने. 

ऐसे ही हर दिन उछलेगा।

गर्मी का ये पारा।।

पेड़ कटाई और प्रदूषण।

ने धरती को मारा।।

अभी जाग जाओ कहते हैं, ज्ञानी और विज्ञानी ..  .. इस अंतरे ने इस रचना को ऊँचाइयाँ दी हैं. और को औ’ की तरह प्रयुक्त किया जा सकता है ताकि द्विकल की आवश्यकता पूर्ण हो सके.

सुगढ़ रचना-कर्म का सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत कर आपने आयोजन को सार्थकता दी है. 

हार्दिक धन्यवाद तथा बधाइयाँ 

शुभ-शुभ

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी। छंदों पर आपकी उपस्तिथि की प्रतीक्षा रहती है।

छन्न पकैया छन्न पकैया, मैना मेरी कहती,
गर्मी ने है प्यास बढ़ाई, नदिया सूखी बहती।

छन्न पकैया छन्न पकैया, कहती मेरी नानी,
जल की मांग बढ़े गर्मी में, मांगे सब ही पानी।

छन्न पकैया छन्न पकैया, ठण्डा ठण्डा पानी,
पानी पीकर नाचे झूमें, जैसे चढ़ी जवानी।

छन्न पकैया छन्न पकैया, जग का जीवन पानी,
उगे न इक दाना बिन पानी, जोर लगा ले ज्ञानी।

छन्न पकैया छन्न पकैया, जल सबका मनभावन,
धरती पर जल ही अमृत है, जल से ही है जीवन।

छन्न पकैया छन्न पकैया, अनुपम धन है पानी,
सर्दी गर्मी हर मौसम में, जीवन मांगे पानी।


(मौलिक एवं अप्रकाशित)
- दयाराम मेठानी

जनाब दयाराम मेठानी जी आदाब, प्रदत्त चित्र पर अच्छे सार छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय समर कबीर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार।

आदरणीय दयाराम मेठानी साहब सादर, प्रदत्त चित्र के भावों पर बहुत सुंदर छन्न-पकैया रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिर भी छठे छंद का तुक मनभावन /जीवन...ठीक नहीं है. जबकि 'अमृत' तीन मात्रिक शब्द होने से सम्बंधित चरण का मात्रा भार कम हो रहा है. सादर 

आदरणीय रक्ताले जी, सर्वपथम तो आपका टिप्पणी हेतु आभार व्यक्त करता हूं। अमृत की मात्रा मैने चार ही गिनी थी। इसे तीन मात्रा में गिनना चाहिये ये मेरी जानकारी में नहीं था। भविष्य में ध्यान रहेगा। मनभावन और जीवन का तुकांत भी अन तुकांत के आधार पर लिया था। आप वरिष्ठ एवं जानकार है। अत: आपकी इन बातों का ध्यान रखूंगा। सादर।

आदरणीय दयाराम भाईजी 

इस प्रस्तुति  के लिए हृदय से बधाई |  

आदरणीय दयाराम मेठानी जी

सुन्दर सार छंदों का सृजन किया है आपने। हार्दिक बधाई

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह .. वाह वाह ...  आदरणीय अशोक भाईजी, आपके प्रयास और प्रस्तुति पर मन वस्तुतः झूम जाता…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई जी, आयोजन में आपकी किसी रचना का एक अरसे बाद आना सुखकर है.  प्रदत्त चित्र…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अंतिम दो पदों में तुकांंत सुधार के साथ  _____ निवृत सेवा से हुए, अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन…"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
18 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service