For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लोकार्पण कार्यक्रम समाचार पत्रों के आधार पर एक प्रतिवेदन

कवि केवल प्रसाद ‘सत्यम’ का प्रथम काव्य-संग्रह...’छंद माला के काव्य-सौष्ठ्व’ का दिनांक ०७.०२.२०१६ को यू० पी० प्रेस क्लब, लखनऊ में लोकार्पण कार्यक्रम समाचार पत्रों के आधार पर एक प्रतिवेदन .

लखनऊ शहर में आज-कल लखनऊ महोत्सव का आयोजन चल रहा है. दिनांक ०७.०२.२०१६ को इस शहर में एक तरफ सूबे के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव जी सिटी हाफ मैराथन दौड़ को हरी झण्डी दिखा रहे थे तो दूसरी ओर विंटेज़ कार रैली का कौतुक हर व्यक्ति को आकर्षित कर रहा था. भ्रम यह भी था कि लखनऊ महोत्सव मेले का आज अंतिम दिन है. बच्चों ने अपने-अपने घरों में मेला देखने की ज़िद कर रखी थी. सभी लोगों का रुख लखनऊ महोत्सव की ओर ऐसा झुकाव था जैसे प्राथमिकता, अनिवार्यता सी हो गयी थी. इसका एक कारण यह भी था कि आज सायं लखनऊ महोत्सव में गज़ल गायकी के महानतम पाकिस्तानी फनकार गुलाम अली जी अपने सुपुत्र के साथ शिरकत करने वाले थे. वहीं हज़रत गंज में पद्म भूषण भोजपुरी गायिका मालिनी अवस्थी जी का सम्मान समारोह चल रहा था. इस समय हज़रतगंज जैसे व्यस्ततम बाज़ार में भी व्यक्तियों/ श्रोताओं का जैसे टोटा हो गया था. मेरी चिंता बहुत तेजी से बढ‌ती जा रही थी. आज मेरी प्रथम कृति छंद माला के काव्य-सौष्ठव का लोकार्पण भी होना है. समय की देवी ने दोपहर के ठीक दो बजे की घड़ी, अमूल्य भेंट में प्रस्तुत किया. यू० पी० प्रेस क्लब, में कुल चार - छ: श्रोता ही चहल कदमी कर रहे थे. अचानक मात्र पल भर में ही मुख्य अतिथियों सहित हाल में अच्छी-खासी भीड़ जुट गयी. कार्यक्रम अपने सही समय से प्रारम्भ हो गया. देखते ही देखते पूरा हाल खचाखच भर गया. भीड़ बढ‌ती ही जा रही थी. रेस्टोरेंट की कुर्सियां भी श्रोतागण खींच-खींच कर बैठने लगे, कुर्सियां कम पड़ गयी तो वे खड़े रहकर भी वक्ताओं के रसपूर्ण आख्यानों का भरपूर आनंद लेते रहे. पत्रकार बंधुओं का भी तांता लगा रहा, रह-रह कर एक-एक, दो-दो करके पत्रकार बंधु अंत तक आते रहे. इसी बीच में लखनऊ आकाशवाणी व एफ० एम० चैनल के प्रतिनिधि भी आकर मेरा साक्षात्कार भी लेते रहे. आलम यह था कि कार्यक्रम समाप्त हो चुका था किंतु श्रोताओं व मित्र बंधुओं का आना नही रुक रहा था.


परिणाम यह निकला कि आज दिनांक ०८.०२.२०१६ को इस शहर के प्रतिष्ठित दस अखबारों ने अपने साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कालम में ससम्मान समुचित स्थान से इस पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम को अमरता प्रदान की. जिनका संक्षिप्त समाचार प्रतिवेदन अग्रलिखित है:--


१. नवभारत टाईम्स समाचार पत्र ने पृष्ठ-७ पर लिखा कि सत्यम का काव्य-संग्रह छंद माला के काव्य-सौष्ठव का विमोचन में उ० प्र० हिंदी संस्थान के पूर्व निदेशक श्री विनोद चंद्र पाण्डेय 'विनोद' ने किया तथा विशिष्ठ अतिथि श्री अशोक कुमार पाण्डेय 'अशोक' एवं साहित्य भूषण रंगनाथ मिश्र मौजूद थे.


२. दैनिक जागरण समाचार पत्र ने पृष्ठ १० पर लिखा कि काव्य-सौष्ठव का लोकार्पण हुआ. छंद माला के काव्य-सौष्ठव के रिव्यू पर डा० अशोक अज्ञानी ने कहा कि यह पुस्तक आयुर्वेदिक औषधियों, मद्य निषेध और सामाजिक विद्रूपताओं को रेखांकित करता है.


३. अमर उजाला समाचार पत्र ने अपने माई सिटी के पृष्ठ ४ पर पुस्तक लोकार्पण की फोटों सहित लिखा कि छंद माला के काव्य-सौष्ठव का विमोचन हुआ जिसमें कवि वाहिद अली 'वाहिद' व आदित्य चतुर्वेदी समेत तमाम रचनाकार उपस्थित रहे.


४. कैनविज टाईम्स समाचार पत्र ने पृष्ठ ४ पर बड़ी फोटो सहित छापा कि 'सत्यम' की कविताओं से छंदों का उल्लेख अद्वितीय: रंगनाथ, आगे लिखा कि साहित्य भूषण डा० रंगनाथ मिश्र 'सत्य' जी ने कहा कि कवि सत्यम ने जिन-जिन छंदों का उल्लेख अपनी कविताओं के माध्यम से विस्तारित किया है, प्रथम दृष्टया वह अद्वितीय ही कहा जायेगा. इस लक्षण ग्रंथ को पढ़कर पाठकगण स्वयं को गौरवांवित समझेंगे.


५. पत्रकार सत्ता समाचार पत्र ने पृष्ठ 5 पर बड़ी फोटो सहित लिखा कि काव्य-संग्रह 'छंद माला के काव्य-सौष्ठव' का लोकार्पण शीर्षक में कहा कि चाहे प्रिंटिंग दोष हो या लेखन, आज हमें भाषा पर गम्भीरता से सोचना होगा...अशोक अज्ञानी.

६. लोकमत लखनऊ समाचार पत्र ने पृष्ठ ३ पर लिखा कि केवल प्रसाद सत्यम का प्रथम काव्य-संग्रह ' छंद माला के काव्य-सौष्ठव' का लोकार्पण के माध्यम से लिखा के रामदेव लाल 'विभोर' ने अपने व्याख्यान में कहा कि रीति-नीति व प्रीति से पगी कृति की कथ्य सामाग्री विसंगतियों व युगबोध को उजागर करती हुई आज के संदर्भ में पर्यावरण व प्रदूषण आदि पर भी बहुत कुछ कहती है.


७. राष्ट्रीय स्वरूप समाचार पत्र ने पृष्ठ ४ पर लिखा कि छंद माला के काव्य-सौष्ठव का लोकार्पण समारोह सम्पन्न शीर्षक से सचित्र लिखा कि अशोक कुमार पाण्डेय 'अशोक' ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रस्तुत काव्य संग्रह का उद्देश्य मात्र गणों, वर्णों एवं मात्राओं तक ही सीमित नही रहा बल्कि काव्य-रसिकों को काव्यानंद में निमग्न करने का भी रहा है. यह एक जनजीवन से जुड़ी काव्यकृति है. भाव एवं कला पक्ष से परिपुष्ट इस कृति का सर्वत्र स्वागत होगा.


८. हाईटेक न्यूज समाचार पत्र ने पृष्ठ २ पर लिखा सत्यम की कविताओं से छंदों का उल्लेख अद्वितीय: रंगनाथ, शीर्षक से कहा कि अली 'वाहिद' ने अपने वक्तव्य में पुस्तक के विभिन्न पहलुओं पर समीक्षात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि यह पुस्तक काव्य विधानों के अनुरूप सही समय पर आयी है और इसमें समसामयिक विषयों को सद्भावनाओं के साथ अंगीकार किया गया है जो समाज की चेतना को जागृत करने में सहायक है.


९. रोज़ की खबर समाचार पत्र ने पृष्ठ ५ पर सत्यम की कविताओं से छंदों का उल्लेख अद्वितीय: रंगनाथ, शीर्षक से कहा कि लक्ष्य संस्था की ओर से आयोजित कार्यक्रम में छंद माला के काव्य-सौष्ठव का लोकार्पण समारोह के बतौर मुख्य अतिथि रामदेव लाल विभोर ने कहा कि आज के व्यस्ततम जीवन में सहृदय पाठकों को क्षण भर में वह सारे रसास्वादनों का अनुभव करा देतें हैं जो एक खण्डप्रबंध काव्य या अन्य लम्बी-लम्बी रचनाओं में महिमामण्डित रहता है.


१०. चेतना विचारधारा समाचार पत्र के लखनऊ सिटी के पृष्ठ ३ पर लिखा सत्यम की कविताओं से छंदों का उल्लेख अद्वितीय: रंगनाथ, शीर्षक से कहा कि अपने अध्यक्षीय भाषण में विनोद चंद्र पाण्डेय विनोद ने कहा कि छंद माला के काव्य-सौष्ठव पुस्तक के अंत में सभी उदाहरण सहित लक्षण भी प्रस्तुत कर दिये हैं, जिससे इस पुस्तक की उपयोगिता अधिक बढ़ गयी है. लोकार्पण कार्यक्रम में मधुकर अष्ठाना, प्रो० नेत्र पाल सिंह, डा० कैलाश निगम, नलिन रंजन सिंह, रामराज भारती, बेअदब लखनवी आदि साहित्यकार मौजूद रहे.


कार्यक्रम के अंत में संस्था के संस्थापक अध्यक्ष श्री आर्० के० सरोज जी ने मंचासीन अथितियों एवं उपस्थित आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापन एवं आभार ज्ञापित किया. उपरोक्त से स्पष्ट होता है कि कवि केवल प्रसाद 'सत्यम' की प्रथम काव्यकृति ' छंद माला के काव्य-सौष्ठव' का लोकार्पण कार्यक्रम इस व्यस्ततम राजधानी में किस हद तक सफल रहा. मुझे अपेक्षा से अधिक सराहना व उत्साहवर्धन मिलने से अत्यधिक हर्ष का अनुभव हो रहा है. इस अवसर पर मै एक बार फिर समस्त माननीय अथितियों एवं मित्र मण्डली व आगंतुकों का सहृदय आभार ज्ञापित करता हूं.
शुभ...शुभ...

आपका साथी,
केवल प्रसाद 'सत्यम'
रचनाकार

Views: 2130

Reply to This

Replies to This Discussion

प्रिय केवल भाई, चर्चित लोकार्पण समारोह में मैं भी उपस्थित था और मुझे भी आपकी सफलता पर गौरव हुआ विशेषकर इसलिए कि आप ओ.बी.ओ.लखनऊ चैप्टर के अति सम्मानित संस्थापक सह-संयोजक हैं. आपको हृदयतल से बधाई. एक दुविधा मन में रह गयी. चेतना विचारधारा समाचार पत्र ने कहा है (आपके उपरोक्त प्रतिवेदन के अनुसार) कि समारोह में आदरणीय मधुकर अष्ठाना, डॉ कैलाश निगम और डॉ नलिन रंजन सिंह भी उपस्थित थे. क्या मुझसे इतनी बड़ी गलती हो गई कि मैं शहर के इन दिग्गज साहित्यकारों को पहचान नहीं सका!!! हो सकता है उल्लिखित समाचार पत्र ने उनको दिया हुआ प्रेस नोट छाप दिया हो. जैसा कि अक्सर होता है बहुत से गणमान्य अतिथि ऐसे व्यस्ततम दिन में चाहते हुए भी हर समारोह में नहीं पहुँच पाते हैं. निवेदन मात्र इतना है कि यदि इन महानुभावों की उपस्थिति दर्ज नहीं हुई थी तो आपके प्रतिवेदन में ...... मैं आपके और उज्ज्वल भविष्य, साहित्यिक क्षेत्र में सफलता एवं उत्तरोत्तर प्रसिद्धि की कामना करता हूँ. सादर.

आ०  शर्दिंदु सरजी, आलेख पर उपस्थिति के लिये आपका हार्दिक आभार. आपके प्रश्न में ही उत्तर भी चमक रहा है.  यह बात सत्य हैकि कुछ लोग किन्ही अलग-अलग कारणों से कार्यक्रम के हिस्सा नही बन सके. उन्होंने इस बात पर खेद भी जताया. जिसका हम सभी ने  ससम्मान स्वीकार किया.  चूंकि प्रेस नोट रिलीज़ हो चुका था तत्काल शंशोधन सम्भव नही था, ऐसा अन्य कार्यक्रमों में भी देखा गया है. कुछ कमियां तो रह ही जातीं हैं जिनके लिये हम किसी को दोष नही दे सकते. यह बात स्पष्ट जरूर है कि उपर्युक्त प्रतिवेदन पूरी तरह से समाचार पत्रों पर ही आधारित है.  आप ने अपने विचार सझा किये जिसके लिये हार्दिक आभार सहित बहुत-बहुत धन्यवाद.  सादर

आ० केवल जी - बहुत हंगामाखेज कार्यक्रम था . मेरा सौभाग्य की मैं भी उस भीड़ का हिस्सा था . आपका साहित्यिक जीवन इसी प्रकार संवर्धित हो . मेरी शुभकामनाएं एक बार फिर . मैं  शरद दादा के कहे से सहमत हूँ और मुझे आदरणीय विनोद चन्द्र पाण्डेय ;विनोद' जी भी कार्यक्रम में नहीं दिखे आपको इस सत्य को स्पष्ट करना चाहिए था . एक बार फिर से शुभ शुभ . सादर

आ०  गोपाल नारायण सरजी, सबसे पहले आलेख पर उपस्थिति के लिये आपका हार्दिक आभार.  जी, कुछ लोग किन्ही अलग-अलग कारणों से कार्यक्रम के हिस्सा नही बन सके. उन्होंने इस बात पर खेद भी जताया. जिसका हम सभी ने  ससम्मान स्वीकार किया.  चूंकि प्रेस नोट रिलीज़ हो चुका था तत्काल शंशोधन सम्भव नही था, प्राय: ऐसा अन्य कार्यक्रमों में भी देखा गया है. कुछ कमियां तो रह ही जातीं हैं जिनके लिये हम किसी को दोष नही दे सकते. यह बात स्पष्ट जरूर है कि उपर्युक्त प्रतिवेदन पूरी तरह से समाचार पत्रों पर ही आधारित है.  आप ने अपने विचार साझा किये जिसके लिये हार्दिक आभार सहित बहुत-बहुत धन्यवाद.  सादर

आदरणीय केवल जी, आपको इस विशिष्ट उपलब्धि हेतु हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएँ

आ०  वामनकर भाई जी,  लक्ष्य संस्था एवं उनके कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत ने वास्तव में एक बड़ी सफलता प्राप्त की. जिसकी चर्चा आ० शर्दिंदु जी व गोपाल नारायण जी ने अपने विचार में उल्लेख किया है.   आपकी बधाई व शुभकामनाओं के लिये मैं हार्दिक आभार सहित आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं..  सादर

भाई केवल प्रसाद जी को उनकी कृति की सफलता तथा उनके साहित्यिक जीवन में उसे मील का पत्थर साबित होने केलिए शुभकामनाएँ देता हूँ. उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर बहुत ही आत्मीयता से दो-तीन दफ़े फोन कर मुझसे भी अपेक्षा की थी कि उक्त कार्यक्रम में शरीक होऊँ. यह मेरा परम सौभाग्य भी होता कि मैं उक्त ऊर्जस्वी पुस्तक लोकार्पण समारोह का हिस्सा बनता. आयोजन-स्थान की गरिमा भी मेरे लिए आकर्षण का केन्द्र थी. लेकिन व्यक्तिगत कारणों से मैं सदेह उपस्थित न हो सका. अलबत्ता, मैं मन से लखनऊ प्रेस क्लब में ही था. आयोजन के बाद भी आपका फोन आया था और आपने कार्यक्रम की जानकारी से मुझे लाभान्वित कियाथा. 

यह अवश्य है, कि रचनाकर्मियों में पद्य-विधान के प्रति उत्कट समर्पण हो. जिस विश्वास, गहनता तथा समर्पण भाव से भाई केवल प्रसादजी ने छन्दों पर काम किया है, वह अभिभूत तो करता ही है. उनके लिए भी यह एक उदाहरण सदृश है कि कोई रचनाकर्मी यदि ठान ले तो मात्र कुछ वर्षों (तीन-साढ़े तीन) में छन्द की अनेकानेक विधाओं में किस ऊँचाई पर पहुँच सकता है !  भाई केवल प्रसाद जी की पुस्तक को मैंने न केवल देखा है बल्कि उसका अध्ययन भी किया है. रचनाओं का शिल्प वास्तव में मुग्ध करता है. 

जहाँ तक आयोजन के समापन पश्चात उसकी सूचना के समाचार-पत्रों में प्रकाशित होने का सवाल है तो यह बात तयशुदा है कि समाचार-पत्रों के सम्पादक आयोजन की रूपरेखा तथा कुछ ’मैटर’ पहले ही माँग लेते हैं. उनके फोटोग्राफर तात्कालिक तस्वीरें लगा देते हैं. इस तरह किसी साहित्यिक आयोजन का ’समाचार’ बन जाता है. कोई आयोजक, इस कारण, आयोजन की समाप्ति के पूर्व ही आगंतुक अथितियों और सम्मान्य वरिष्ठों के आगमन की अपेक्षा के अनुसार ’समाचार’ उपलब्ध करा देता है. ऐसा अमूमन हर साहित्यिक कार्यक्रम के साथ होता है. अतः आदरणीय शरदिन्दू जी या आदरणीय गोपाल नारायनजी के प्रश्न तथा उनकी शंकाएँ अपनी जगह पर ठीक होती हुई भी निवारण से परे हैं. 

पुनः भाई केवल प्रसादजी को हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाइयाँ. 

शुभेच्छाएँ. 

आ०  सौरभ सर जी,  आपकी स्नेहिल आशीष एवं तदात्मभाव ने ही इस आयोजन को ऐतिहासिक एवं यादगार बनाया यही नहीं अदृश्य शक्तियों ने भी आश्चर्यचकित करके वातावरण को ज्ञान-गंगा का छिड‌काव करके पवित्र बनाये रखने में कोई कसर  नहीं छोड़ी. इस पोस्ट पर आपका आशीर्वाद पाठकों को पूर्ण आश्वस्ति प्रदान करता है.  आपका हार्दिक आभार.  सादर

शुभ-शुभ

आ० केवल जी , आपको एक बार फिर से साधुवाद . आप जितनी सहजता से छन्दों में रचना कर रहे हैं उतना ही सरल और कोमल आपा व्यक्तित्व भी है . मेरे तो आप अनुज है ही . आपकी लगन और सक्रियता मुझे भी झकझोरती रहती है . आपके सफल कार्यक्रम की रिपोर्टिंग को लेकर मुझे कुछ शंका अवश्य थी किन्तु आ ० सौरभ जी के वक्तव्य से वह शंका भी जाती रही . आपका काव्य-पथ माँ शारदा प्रशस्त करती रहे . सादर .

आपका स्नेह यूं ही बना रहे. बहुत-बहुत आभार. सादर

आ० भाई  केवल जी, आपको इस विशिष्ट उपलब्धि हेतु हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएँ l

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. //हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई ग़ज़ल की उम्दा पेशकश के लिये आपको मुबारक बाद  पेश करता हूँ । ग़ज़ल पर आाई…"
yesterday
Ravi Shukla commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय अमीरूद्दीन जी उम्दा ग़ज़ल आपने पेश की है शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूल करे । हालांकि आस्तीन…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service