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खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
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दोस्तो आदाब,

आपको ये जान कर ख़ुशी होगी कि मेरी 'कुल्लियात' "काइनात-ए-ग़ज़ल'' के नाम से प्रकाशित हो गई है ।

जो साहिब इसे लेना चाहें वो  Amazon से ले सकते हैं । 

बहुत बहुत हार्दिक बधाई 

जी,बहुत शुक्रिय:

जय-जय

हार्दिक शुभकामनाएँ.

बहुत शुक्रिय:

उस्ताद-ए-मुहतरम, आदाब। आपको अपनी कुल्लियात के प्रकाशन पर ढेरों बधाई एवं शुभकामनाएँ।

बहुत शुक्रिय: प्रिय ।

आदाब। तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद।

बहुत शुक्रिय: प्रिय ।

हार्दिक बधाई ।

बहुत शुक्रिय: भाई ।


पुलकित पल, शुभदा, सुखद, मंगलमय नव वर्ष..
शुभ-शुभ संप्रेषण सुलभ, प्रतिपल सहज सहर्ष

शुभातिशुभ
हार्दिक शुभकामनाएँ

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