For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
ADMIN
OBO

Views: 72980

Reply to This

Replies to This Discussion

बहुत बहुत बधाई आदरणीय समर साहब ।
बहुत बहुत। शुक्रिया मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा ।
आदरनीय समर कबीर साहब , नमस्कार , लिखने वाले ने तो जो लिखा अच्छा लिखा , हम तो आपके पता नहीं कब से कायल है , आपको एक अनुभवी , जिम्मेदार , पथ-प्रदर्शक , और हर तरह से बहुत अच्छा मित्र और इंसान समझते और जानते हैं। बस कभी कह नहीं पाए। लिखने वाले इस बारे में बेशक बाज़ी मार ले गए और खूबसूरत अंदाज़ में , बेशक अच्छा लिखा , बधाई आपको और उन्हें भी। बाकी आपकी कुछ निजी परेशानियों के बारे में जानकर कष्ट भी हुआ , पर आपके हौसले बुलंद हैं और आगे भी रहे , शायर लोग तो वैसे भी बाँटते हैं , लेते क्या हैं। आप सलामत रहें , स्वस्थ रहें , हंसते रहे। आपने इसे साझा किया , हम उपकृत हुए।
सादर।
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,मैं इस हक़ीक़त से बख़ूबी वाक़िफ़ हूँ कि :-

"मुहब्बत मा'ना-ओ-अल्फ़ाज़ में लाई नहीं जाती
ये वो नाज़ुक क़्क़ीक़त है कि समझाई नहीं जाती"
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रया के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

भाई समर कबीर जी, 

यह खुशखबरी सुन कर दिल बहुत खुश हुआ.... आपको यह मान मिलना ही था, आप कब से इस मान के हकदार हैं। हार्दिक बधाई, भाई समर जी।

मुहतरम जनाब विजय निकोर जी आदाब,आपकी प्रशंसा मेरे लिये बड़ा इनआम है, तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आपकी मुहब्बतों के लिये ।

⁠⁠⁠क्या बात है , आदरणीय समर भाई , पढ के दिल बाग़ बाग़ हुआ जा रहा है , आपके साथ साथ ये हम ओबीओ वालों के लिये इज़्ज़त अफज़ाई और फ़ख़्र की बात है ...मुझे खुशी है कि आपकी इमान्दारी , मेनहत और लगन अब रंग ला रही है ... ख़ुदा ऐसे और मौक़ों से नवाज़े आपको।

जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,ये सब आपकी और ओबीओ की मुहब्बतों का नतीजा है,आपकी मुहब्बतों के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

बहुत बहुत बधाई जनाब समर कबीर साहब। ज़हीर कुरेशी साहब बेहद सुलझे हुए इंसान और आला दर्जे के शायर हैं। बिल्कुल सीधी और सच्ची बात कहते हैं वो। दिली दाद कुबुल करें।

जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह साहिब आदाब,ज़हीर साहिब के बारे में आपने सही फ़रमाया,आपकी मुहब्बतों के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।

समावर्तन के जनवरी अंक में आपकी 10 गजले सम्मिलित हुई, इसके लिए हुत बहुत बधाई श्री समर कबीर साहब | ये हम सभी के लिए और ओबीओ के लिये इज़्ज़त अफज़ाई और फ़ख़्र की बात है | सादर 

जनाब लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला जी आदाब,आपकी और ओबीओ की मुहब्बतों के लिये बहुत बहुत धन्यवाद ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
17 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"बदलते लोग  - लघुकथा -  घासी राम गाँव से दस साल की उम्र में  शहर अपने चाचा के पास…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"श्रवण भये चंगाराम? (लघुकथा): गंगाराम कुछ दिन से चिंतित नज़र आ रहे थे। तोताराम उनके आसपास मंडराता…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
yesterday
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
yesterday
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service