आदरणीय साथिओ,
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आ. अर्चना जी, आपकी लघुकथा के भाव अच्छे हैं किन्तु प्रस्तुतिकरण उस स्तर का नहीं है. आ. योगराज सर और आ. सुनील जी ने आपकी लघुकथा की बहुत अच्छी समीक्षा की है जिससे मैं भी सहमत हूँ. उसका संज्ञान लीजिए. थोड़े से प्रयास से यह लघुकथा एक बढ़िया लघुकथा में तब्दील हो जाएगी. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.
अच्छे विषय के साथ कही गयी रचना के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें आदरणीया अर्चना जी, गुरुजनों और सुधीजनों की सलाह के अनुसार बदलाव करें तो बेहतरीन रचना हो सकती है| सादर,
अच्छ विषय है,और समय के साथ चलने वाला भी,वृद्ध माता पिता की अनदेखी इतनी आम समस्या बन गई है कि उसपर ध्यान देना कम हो गया है... जो सरासर गलत है. कथा में कुछ और भी कह देना था जिससे कथा और अधिक स्पष्ट हो कर आती.फिर भी एक समस्या की ओर इशारा करती कथा पर ह्रदय से बधाई!
हार्दिक बधाई आदरणीय अर्चना जी।सुंदर लघुकथा।
अंतर्द्वंद्व को रेखांकित करती सुंदर लघुकथा के लिए बढ़िया आद्रिय रश्मि तरीका जी
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