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"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-152

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-152

विषय : "जिंदगी का सफर"

आयोजन अवधि- 10 जून 2023, दिन शनिवार से 11 जून 2023, दिन रविवार की समाप्ति तक अर्थात कुल दो दिन.

ध्यान रहे : बात बेशक छोटी हो लेकिन 'घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता, अतुकांत आधुनिक कविता, हास्य कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, नज़्म, हाइकू, सॉनेट, व्यंग्य काव्य, मुक्तक, शास्त्रीय-छंद जैसे दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि.

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 11 जून 2023, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा।

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
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डॉ. अरुणकुमार शास्त्री जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।

आ. भाई अरुण जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।

2122 2122 212

जी रहे हम पर सिला कोई नहीं
दर वो अपना तो रहा कोई नही ( 1 )

जिन्दगी का ये सफर कब दे सुकूँ

दिल्लगी दिल, हादसा कोई नहीं ( 2)

साँवरे को तो मिली राधा सनम
आदमी ज़मज़म पिया कोई नहीं ( 3 )

हादसा है ज़िन्दगी और मौत भी
धड़कनों अब, धड़कता कोई नहीं ( 4 )

दिल्लगी हम से हुई सुन ज़िन्दगी
बहलाये दिल, दिलरुबा कोई नहीं ( 5 )

कोई अपना तो जहाँ ना हो सका
मर रहे हम आशना कोई नहीं ( 6 )

ज़िन्दगी जी तो ले हम दोस्त फिर
पर करें क्या होंसला कोई नहीं ( 7 )

ढू़ढते इक आशियाँ ता उम्र हम
मिल सका वो घोंसला कोई नहीं ( 8 )

रिश्ते- नातों का शहीदी है सफर
मर गया आदम रिदा कोई नहीं ( 9 )

इस क़दर उलझा हुआ है आदमी
है कहाँ मंज़िल पता कोई नहीं ( 10 )

मौलिक एवं अप्रकाशित

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर गज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

डॉ. अशोक गोयल जी, प्रदत्त विषय पर अति सुंदर गज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गजल का काफिया क्या तय किया है ?

छंद मुक्त रचना

-------------------

क्या होता है
ये ज़िन्दगी का सफर ?
हमने हवाई सफर
और
रेल सफर तो सुना और
देखा भी भी है पर
जीवन सफर कभी देखा नहीं

ये जीवन सफर का
अर्थ यदि कुछ लोगों के
आत्म कथ्य से है तो
वे सब तो काल्पनिक, मनगढ़ंत
और अपनी वाहवाही की लिखवाई गई
कहानी ही है सच्चाई नहीं
उसे जीवन सफर कैसे कहें?

पद पैसा और प्यार या फिर
जीवन मरण प्रणय या
भूख बीमारी और लाचाारी
की कहानी को भी जीवन सफर
कह नहीं सकते।

यदि जीवन जीने का नाम ही
जीवन सफर है तो मानव का ही क्यों
पेड़ पौधों का
पशु पक्षियों का भी
जन्म मरण होता है।
उनका भी जीवन सफर होता है।
वे पढ़े लिखे नहीं इसलिए
उनका कोई आत्म कथ्य छपता नहीं
हजारों लाखों इंसानों का भी तो
आत्म कथ्य कभी छपता नहीं
लाखों फौजी अपने प्राण वतन
हेतु कुर्बान कर देते है
उनके सफर की कहानी भी
कोई नही जानता

नेताओं और पद पैसे वालों का
जीवन सफर सुहाना दिखता जरूर है
पर होता नहीं।
इंसान हो पेड़, पशु पक्षी हो
सभी का अंत जरूर होता है
और यहीं उनकी ज़िन्दगी का
असली व अंतिम सफर होता है।
- दयाराम मेठानी
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

आ. भाई अशोक जी, आपने गजल दुबारा पोस्ट कर दी

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उम्दा गजल हुई है। सुन्दर भाव हैं। हार्दिक बधाई स्वीकारें।

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आवश्यक सूचना:-

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