आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
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आ. तेजवीर जी माफ़ करना मुझे रचना का उद्देश्य समझने मे कठिनाई हो रही है.कृपया आप खुल्कर बताए तो शायद---खासकर इन पंक्तियो मे--
रूम मेट उस शर्ट को खोजता रहा! उसे एक शादी में जाना था ! राजीव से भी पूछा! राजीव ने अनभिज्ञता जताई !
कार्य क्रम के बाद मृदुला ने वह शर्ट धुलवा कर राजीव को लौटा दी!
रूम मेट ने खोई हुई शर्ट टेबल पर देखी तो बडा खुश हुआ!मगर उसकी समझ में नहीं आरहा था कि नयी शर्ट बिना इस्तैमाल किए किसी ने धो क्यों दी !--
सादर अनुरोध
हार्दिक आभार आदरणीय नयना जी !लघुकथा पर टिप्पणी के लिये!यह घटना १९६४ में मेरे साथ हुई थी!आपको इस लघुकथा को और इसके उद्देश्य को समझने के लिये इसे एक छात्र के नज़रिये से पढना होगा!जिनका तन और मन दौनों ही अपरिपक्व होते हैं!निर्णय लेने का सलीका नहीं होता!खासकर उन क्षणों में जब कोई पुरुष छात्र किसी महिला छात्र से प्रथम वार मिलता है!उस नाज़ुक उम्र की हडबडाहट और घबराहट को केंद्रित करके यह लघुकथा लिखी है!राजीव को इस बात का अहसास नहीं हो पाता कि वह एक लडकी की फ़रमाइश पूरी करने के लिये झूठ बोलता है और चोरी करता है!उसके मन में कोई अपराध बोध है या नहीं!इस घटना का उसके भविष्य पर क्या प्रभाव पडने वाला है!कितने सारे प्रश्न जुडे हैं इस लघुकथा से!आप इसको एक बार पुनः पढिये!फ़िर बताइये क्या आपको कोई संदेश नज़र नहीं आया!सादर!
मोहतरम जनाब तेज वीर साहिब , दिल को छू लेने वाली, सन्देश देती अच्छी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी !
हार्दिक आभार आदरणीय ओम प्रकाश जी !
हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी !
एक अलग प्रकार की प्रस्तुति है ये आपकी आदरणीय तेजवीर जी अनकहे में सिमटा सा सकुचाया हुआ सा रिश्ता शर्ट के साथ ही मुस्कुरा कर चमक गया . बधाई आपको .
हार्दिक आभार आदरणीय कांता रॉय जी!
हार्दिक आभार आदरणीय नीता सैनी जी!
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