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//हर शो'बे पे ये माना के हमें हार मिली,
जीत की, झूटी ही सही, आस जगाई जाये.//
इस उम्मीद और आस को हज़ार सलाम....
//इन्तेखाबात की ताक़त तो अभी हाथ में है,
आओ सच्चाई पे ही चाप लगाई जाये.//
बहुत खूब.. इस अशआर ने गहरे झकझोरा है.
//लाल परचम न लहू लाल बहाने के लिये,
आओ भूलो को यही बात बताई जाये.//
विश्वास है, पैग़ाम जिनके नाम है, संदेश मिल गया होगा.. अमल हो.. आमीन.
(भूलो में अनुस्वार लगा कर भूलों कर लें, भूलवश छूट गया है)
इस खूबसूरत आग़ाज़ के लिये बधाई.
ओ बी ओ सदस्य जनाब मुईन शमसी जी की ग़ज़ल ...
कमाल की ग़ज़ल कही है मोईन जी ने।
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