साथियों,
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जनाब मिर्ज़ा साहब,
इस भरपूर ग़ज़ल के सभी अशआर उम्दा हुए हैं
बहुत बहुत बधाई
मोहतरम जनाब निलेश नूर साहिब आदाब
बड़े लोगों की दाद हौसले भी बड़े अता करती है
इँशाअल्लाह अाइंदा और बहतर कहने की कोशिश करूंगा दिली शुक्रिया
मोहतरम मिर्ज़ा जावेद बेग साहिब, दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएँ, अच्छी ग़ज़ल हुई है। यह शे'र खूब हुए हैं।
इक नज़र बस करम की मांगी थी!
कितने वादे थमा गया है मुझे!
बेवफ़ाई भी उसकी भाने लगी ।
रास इतना वो आ गया है मुझे!
मुहतरम शिज्जु शकूर साहिब आदाब ,
सुख़न नवाज़ी का मशकूर हूँ
अच्छी ग़ज़ल हुई है... वाह !!!
जनाब अजीत शर्मा जी आदाब ,
हौसला अफजा़ई का बहुत बहुत शुक्रिया
आद0 मिर्ज़ा जावेद बेग जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। शैर दर शैर दाद के साथ बधाई देता हूँ
जनाब सुरेंद्र नाथ सिंह जी आदाब,
सुख़न नवाज़ी के लिए बेहद शुक्र गुज़ार हूं
मुहतरम मिर्ज़ा जावेद बेग साहब, अच्छी ग़ज़ल प्रस्तुत हुई है, सभी शेर अच्छे लगें, एक बात पूछनी थी कि शेर के साथ "*" स्टार लगाने का क्या अर्थ है.
बहरहाल बधाई स्वीकार करें।
मुहतरम गणेशबागी जी आदाब ,
सुख़न नवाज़ी के लिए बेहद शुक्र गुज़ार हूं
दरअसल व्हाट्स एप पर टाइप कर के कापी किया था
व्हाट्स अप पर लाइन के आगे और पीछे * लगाने से हर्फ़ बोल्ड हो जाते हैं
वहीं से उठा कर पेस्ट कर दिया यहां देखा तो अशआर बोल्ड तो नहीं हुए *लगे रह गए
आईंदा के लिए सबक़ भी मिल गया कि यहां एसा नहीं होता
आ. भाई जावेद जी , उम्दा गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
जनाब धामी जी आदाब,
हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया
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