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सुरेश कुमार 'कल्याण'
  • Male
  • कैथल (हरियाणा)
  • India
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सुरेश कुमार 'कल्याण''s Discussions

दीवाली

*कुंडलियां*हर घर की मुंडेर पर,दीप जले चहुँ ओर।दीवाली की रात है,बाल मचाएं शोर।बाल मचाएं शोर,शोर ये बड़ा सुहाना।भूलचूक सब भूल,रहा लग गले जमाना।खाओ रे *'कल्याण',* मिठाई डिब्बे भर - भर।खुशियाँ मिली…Continue

Started Oct 23, 2022

 

सुरेश कुमार 'कल्याण''s Page

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-159
"बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय धामी साहब बहुत बहुत बधाई "
Jan 14
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-159
"          दोहे (प्रतिशोध) जला आग प्रतिशोध की, जलते क्यों दिन रैन। वयस घटे रे मूढ़ नर, घटे नींद अरु चैन।। जलते क्यों प्रतिशोध में, भली नहीं ये आग। जलकर क्या हासिल हुआ, जल्द नींद से जाग।। विष अमृत में बदल कर, मिटा हृदय का…"
Jan 14
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह दिनेश जी वाह बहुत ही सुन्दर रचना "
Dec 4, 2023
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"दिल आपणे नै डाट भाई रै ।क्यूं ठारया सिर पै खाटभाई रै । अस्त्र शस्त्र बतेरे देखे।देखी सबकी काट भाई रै । भाइयां मैं तो रल कै रै ले।क्यूं बण रया तों लाट भाई रै । बाहर कितनिए मौज मिल्ज्या।घर बरगे नी ठाठ भाई रै । बुराई जे तनै आंदी दिखै।भेड़ ले आपने…"
Nov 10, 2022
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दीवाली

कुंडलियां*हर घर की मुंडेर पर, दीप जले चहुँ ओर। दीवाली की रात है, बाल मचाएं शोर। बाल मचाएं शोर, शोर ये बड़ा सुहाना। भूलचूक सब भूल, रहा लग गले जमाना। खाओ रे *'कल्याण',* मिठाई डिब्बे भर - भर। खुशियाँ मिली अपार, हुआ है रोशन हर घर। *दोहा*बढ़ें उजाले की तरफ, हम सबके ही पांव। इस दीवाली ना रहे, अंधेरे में गांव।।मौलिक एवम् अप्रकाशित सुरेश कुमार 'कल्याण'See More
Oct 27, 2022
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a discussion

दीवाली

*कुंडलियां*हर घर की मुंडेर पर,दीप जले चहुँ ओर।दीवाली की रात है,बाल मचाएं शोर।बाल मचाएं शोर,शोर ये बड़ा सुहाना।भूलचूक सब भूल,रहा लग गले जमाना।खाओ रे *'कल्याण',* मिठाई डिब्बे भर - भर।खुशियाँ मिली अपार,हुआ है रोशन हर घर। *दोहा*बढ़ें उजाले की तरफ,हम सबके ही पांव।इस दीवाली ना रहे,अंधेरे में गांव।।मौलिक एवम् अप्रकाशितसुरेश कुमार 'कल्याण'See More
Oct 23, 2022
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-143
"                      अधूरी कहानी   कहते रहो तुम अपनी जुबानी । अभी पूरी हुई ना अधूरी कहानी ।। रहे भागते जिद्द के पीछे हमेशा । बहा मेरा बचपन बीती जवानी ।। सूखा पड़ा था वो सावन महीना । सूखे…"
Sep 18, 2022
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-134
"             मन की व्यथा मुझसे क्यों नाराज है, उदासी का क्या राज है। बोल दो मन की व्यथा, कौन सी गिरी गाज है।। दिन है कि ये रात है, कैसी ये मुलाकात है । आंख हैं जो मूंदी - मूंदी, खास कोई बात है।। प्यार में ही मौज…"
Dec 19, 2021
Samar kabeer commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post समयानुकूल
"जनाब सुरेश कुमार कल्याण जी आदाब, दोहों का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें । 'सुखदुख चलते साथ में,जीवन इक जंजाल' इस पंक्ति के विषम चरण में 'साथ' शब्द के साथ 'में' का प्रयोग उचित नहीं होता 'में' की जगह…"
Sep 22, 2021
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

समयानुकूल

बयालीस हैं जा चुके,बीत रहा है काल।सुखदुख चलते साथ में,जीवन इक जंजाल।।यारों की ये कामना,रहे सदा ही साथ।यार सलामत हों सदा, हे नाथों के नाथ।।उन्यासी उन्नीस सौ,माह सितंबर जान।सोलहवीं तारीख थी, जब जन्मे 'कल्याण'।।गुरु आभे ने लिख दई,यही जन्म तारीख।गुरु न देते ज्ञान तो, फिरूं मांगता भीख।।मौलिक एवम् अप्रकाशितSee More
Sep 17, 2021
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मातृभाषा हिंदी
"आ. भाई सुरेश कल्याण जी, सादर अभिवादन । हिन्दी दिवस पर सुन्दर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।"
Sep 17, 2020
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मातृभाषा हिंदी
"आदरणीय समर कबीर साहब सादर आभार, आपकी राय सर्वदा उचित ही होती हैं ।"
Sep 14, 2020
Samar kabeer commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मातृभाषा हिंदी
"जनाब सुरेश कुमार कल्याण जी आदाब, हिन्दी दिवस पर बहुत सुंदर रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें । जहाँ तक मेरी जानकारी है 'हिंदी' को "हिन्दी" लिखना उचित होता है ?"
Sep 14, 2020
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मातृभाषा हिंदी

हिंदी हमारी मातृभाषा, हिंदी जीवन का आधार ।हिंदी की महिमा को गाते,करते हम इसका प्रचार ।।हिंदी के बिना जीवन सूना,हिंदी देती सबको ज्ञान ।मन के भाव प्रकट हों सारे, पूरे करती ये अरमान ।मातृभाषा की महिमा देखो, सुनकर होता है अभिमान ।कोर्ट कचहरी दफ्तर सारे, बाबू कलेक्टर चौकीदार ।हिंदी की महिमा........................................... ।माँस से नाखून दूर ना जाएँ, कौए चलें ना हंस की चाल ।हिंदी के सब रंग में रंग लो, अपनी पगड़ी अपने बाल ।हिंदी दिवस मने हमेशा, चौदह सितंबर को हर साल ।युगों युगों से बहती आई,…See More
Sep 13, 2020
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बारूदों की जिस ढेरी पर-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'(गजल)
"आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब बहुत सुंदर। बधाई "
Feb 3, 2020
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on ARVIND BHATNAGAR's blog post वो एक नींद ही तो थी
"आदरणीय अरविंद भटनागर जी बहुत सुंदर। हार्दिक बधाई"
Feb 3, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
हरियाणा
Native Place
कैथल
Profession
प्राध्यापक (हिन्दी)

सुरेश कुमार 'कल्याण''s Blog

दीवाली

कुंडलियां*

हर घर की मुंडेर पर,
दीप जले चहुँ ओर।
दीवाली की रात है,
बाल मचाएं शोर।
बाल मचाएं शोर,
शोर ये बड़ा सुहाना।
भूलचूक सब भूल,
रहा लग गले जमाना।
खाओ रे *'कल्याण',*
मिठाई डिब्बे भर - भर।
खुशियाँ मिली अपार,
हुआ है रोशन हर घर।

*दोहा*

बढ़ें उजाले की तरफ,
हम सबके ही पांव।
इस दीवाली ना रहे,
अंधेरे में गांव।।

मौलिक एवम् अप्रकाशित
सुरेश कुमार 'कल्याण'

Posted on October 27, 2022 at 8:34pm

समयानुकूल

बयालीस हैं जा चुके,बीत रहा है काल।

सुखदुख चलते साथ में,जीवन इक जंजाल।।

यारों की ये कामना,रहे सदा ही साथ।

यार सलामत हों सदा, हे नाथों के नाथ।।

उन्यासी उन्नीस सौ,माह सितंबर जान।

सोलहवीं तारीख थी, जब जन्मे 'कल्याण'।।

गुरु आभे ने लिख दई,यही जन्म तारीख।

गुरु न देते ज्ञान तो, फिरूं मांगता भीख।।

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Posted on September 17, 2021 at 12:01pm — 1 Comment

मातृभाषा हिंदी

हिंदी हमारी मातृभाषा, हिंदी जीवन का आधार ।

हिंदी की महिमा को गाते,करते हम इसका प्रचार ।।

हिंदी के बिना जीवन सूना,हिंदी देती सबको ज्ञान ।

मन के भाव प्रकट हों सारे, पूरे करती ये अरमान ।

मातृभाषा की महिमा देखो, सुनकर होता है अभिमान ।

कोर्ट कचहरी दफ्तर सारे, बाबू कलेक्टर चौकीदार ।

हिंदी की महिमा........................................... ।

माँस से नाखून दूर ना जाएँ, कौए चलें ना हंस की चाल ।

हिंदी के सब रंग में रंग लो, अपनी…

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Posted on September 13, 2020 at 11:30am — 3 Comments

बसंत पंचमी

माघ शुक्ल की पंचमी, कामदेव के लाल।

दोनों मिलकर आ गए, कण-कण हुआ निहाल ।।



कोयल काली कूकती, खुश हो नाचे मोर ।

माया जिसकी मोहनी,वही मदन चितचोर ।

गेंदा गुलाब ज्यों खिले,खिले गुलाबी गाल।

दोनों मिलकर-------------------।



आई बसंत पंचमी, खुशियों का आगाज ।

वाणी में रस घोलकर, गले मिलें सब आज।

सर्द रैन अब जा चुकी, हटा धुंध का जाल।

दोनों मिलकर --------------------।



ताजा-ताजा लग रहे,गिरा पुराने पात।

डाल डाल को चूमती, भूल अहं औकात… Continue

Posted on January 31, 2017 at 11:30am — 6 Comments

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At 11:37pm on July 5, 2016, asha jugran said…

आद.सुरेश कुमार जी ,आपकी  कविताओं में  खूबसूरत बहाव है.सहजता है जो हर पाठक से  सहज में  जुड़  जाती  है. 

At 12:44pm on June 18, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय

सुरेश कुमार 'कल्याण'  जी,

सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 12:27am on May 5, 2016, स्वाति सोनी 'मानसी' said…
सादर धन्यवाद सुरेश कुमार कल्याण सर :)
At 9:17pm on April 11, 2016, सतविन्द्र कुमार राणा said…
सुस्वागतम्!
 
 
 

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